रायपुर।150 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों पर निर्माण के दौरान रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य है, मगर राजधानी रायपुर में अधिकांश निर्माणकर्ता इस नियम का पालन नहीं कर रहे। 2007 में जारी आदेश के तहत नक्शा स्वीकृत कराने के समय सुरक्षा निधि जमा कराना भी जरूरी है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल विपरीत है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि नियम तोड़ने वालों पर जल्द ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नगर निगम ने बताया कि अब तक 1500 वर्गफीट से बड़े भूखंडों पर नक्शा पास कराने वालों से लगभग 23 करोड़ रुपये सुरक्षा निधि के रूप में जमा किए गए हैं। इनमें से 6,000 से अधिक निर्माणों में सिस्टम लग चुका है और लगभग 13 करोड़ रुपये की राशि मालिकों को वापस की जा चुकी है। इसके बावजूद 3,500 से अधिक निर्माणों में अभी तक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया गया है, जिनकी सुरक्षा निधि 10 करोड़ रुपये से अधिक है। निगम ने स्पष्ट किया है कि यह राशि अब जब्त की जाएगी।
नियम के अनुसार, नगर निगम के रजिस्टर्ड हाइड्रोलॉजिस्ट की जांच और प्रमाणपत्र के बाद ही सुरक्षा निधि वापस मिलती है। छोटे भूखंडों के लिए यह राशि 15 से 25 हजार रुपये, जबकि बड़े कॉम्प्लेक्स और व्यावसायिक भवनों के लिए 1 लाख से 10 लाख रुपये तक होती है।
नगर निगम मुख्यालय ने सभी जोनों को निर्देश दिए हैं। जोन-5 में 196 लोगों को नोटिस भेजे गए हैं। एक सप्ताह में जवाब न मिलने पर राशि जब्त कर ली जाएगी। अन्य जोन-2, 4, 5, 6, 8, 9 और 10 में भी कई ऐसे मामले हैं।
महापौर मीनल चौबे ने घोषणा की कि सुरक्षा निधि की जमा राशि प्राप्त किए बिना किसी निर्माण को पूर्णता प्रमाणपत्र प्रदान नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि नए प्रकरणों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की सतत् जांच सुनिश्चित की जाए। महापौर के अनुसार, यह उपाय जल संसाधनों के संरक्षण तथा पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से अनिवार्य है।