बिलासपुर। राज्य के मेडिकल कॉलेजों में फर्जी ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) सर्टिफिकेट का उपयोग कर एमबीबीएस की सीट पाने का बड़ा मामला सामने आया है। जांच में तीन छात्राओं के दस्तावेज पूरी तरह फर्जी पाए गए हैं। इनमें बिलासपुर की सुहानी सिंह (सीपत रोड लिंगियाडीह), श्रेयांशी गुप्ता (गुप्ता डेयरी के पास, सरकंडा) और भाव्या मिश्रा (पटवारी गली, सरकंडा) शामिल हैं।
प्रथम चरण की प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब संबंधित कार्यालय से प्रमाण पत्रों की जांच कराई गई, तो पाया गया कि तहसील कार्यालय में इनके नाम से कोई आवेदन ही दर्ज नहीं है। नियमों के मुताबिक ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट केवल तहसीलदार द्वारा जारी किया जाता है और यह तभी मान्य होता है जब आवेदक की सालाना पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम, पांच एकड़ से कम कृषि भूमि और शहरी क्षेत्र में 1,000 वर्गफुट से कम मकान हो।
एसडीएम बिलासपुर मनीष साहू ने पुष्टि की कि आयुक्त चिकित्सा शिक्षा द्वारा भेजी गई सूची में दर्ज छात्राओं के नाम पर तहसील कार्यालय से कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। तहसीलदार गरिमा सिंह ने भी कहा कि छात्राओं ने कभी कोई आवेदन प्रस्तुत ही नहीं किया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने अब कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के फर्जीवाड़े से न केवल पात्र छात्रों का हक मारा जाता है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह लगते हैं।