
दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार सुबह एक बार फिर बड़ी कार्रवाई करते हुए मोक्षित कॉर्पोरेशन के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। ईडी की दो दर्जन से अधिक अधिकारियों की टीम ने दुर्ग स्थित कंपनी के तीन घरों और दफ्तरों पर एक साथ दबिश दी। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती की गई है।
यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में 650 करोड़ रुपए से अधिक के कथित घोटाले से जुड़ी है, जिसमें मोक्षित कॉर्पोरेशन पर अस्पतालों में मेडिकल रीएजेंट्स और मशीन सप्लाई में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी करने का आरोप है।
क्या है पूरा मामला?
मोक्षित कॉर्पोरेशन पर आरोप है कि उसने सरकारी टेंडरों की शर्तों का उल्लंघन कर गुणवत्ताहीन सामग्री सप्लाई की और करोड़ों का अनुचित लाभ कमाया। यह मामला विधानसभा में भी उठा था, जिसके बाद जांच एजेंसियों ने शिकंजा कसना शुरू किया। इस घोटाले से सरकारी खजाने को 650 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
यह पहली बार नहीं है जब मोक्षित कॉर्पोरेशन जांच एजेंसियों के निशाने पर आई है। इसी साल जनवरी में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की संयुक्त टीमों ने दुर्ग, रायपुर और हरियाणा स्थित कंपनी के ठिकानों पर छापेमारी की थी। उस दौरान EOW/ACB ने टेंडर, सप्लाई और लेन-देन से जुड़े कई दस्तावेजों के साथ इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी जब्त किए थे।
22 जनवरी को मोक्षित कॉर्पोरेशन के खिलाफ औपचारिक रूप से अपराध दर्ज किया गया था।
ईडी की रेड से बढ़ी हलचल
अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की इस ताजा कार्रवाई के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। जांच टीम का कहना है कि वे मनी लॉन्ड्रिंग और संपत्ति निवेश की गहराई से जांच कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, कंपनी के कई बैंक अकाउंट्स और अघोषित संपत्तियों का भी खाका तैयार किया जा रहा है।
प्रदेश की राजनीति में गरमाया माहौल
ईडी की रेड के बाद प्रदेश की सियासत भी गरमा गई है। विपक्ष ने इस कार्रवाई को सही ठहराते हुए पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग की है, वहीं सत्तारूढ़ दल इसे राजनीतिक प्रतिशोध बता रहा है। आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है।