नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के बेड़े में स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस की दहाड़ सुनने का इंतजार अब खत्म होने वाला है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक (GE) कंपनी से तेजस का चौथा इंजन मिल गया है, जिससे विमानों के निर्माण में आ रही सबसे बड़ी बाधा दूर हो गई है। इसके साथ ही नवंबर तक पहले दो Advanced Tejas Mark-1A फाइटर जेट वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे।
अमेरिकी इंजन की देरी ने रोका था प्रोजेक्ट
फरवरी 2021 में सरकार ने HAL के साथ 83 तेजस मार्क-1ए विमानों के लिए 48,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। लेकिन अमेरिकी इंजन की डिलीवरी में हो रही देरी के कारण अब तक कोई भी विमान वायुसेना को नहीं मिल पाया था। अब इंजन की आपूर्ति शुरू होने के साथ उम्मीद है कि 2028 तक सभी 83 विमान वायुसेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगे।
मिग-21 की जगह तेजस, बीकानेर में होगी पहली तैनाती
तेजस मार्क-1ए विमान 62 साल सेवा देने के बाद हाल ही में रिटायर हुए ‘मिग-21’ की जगह लेंगे। वायुसेना की योजना है कि पहले स्क्वाड्रन को पाकिस्तान सीमा के पास राजस्थान के बीकानेर स्थित नाल एयरबेस पर तैनात किया जाएगा, जिससे पश्चिमी सीमा पर हवाई ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
पहले से ज्यादा उन्नत और ‘देसी’ है नया तेजस
LCA मार्क-1ए में अत्याधुनिक एवियॉनिक्स और रडार सिस्टम लगे हैं, और 65% से अधिक उपकरण भारत में निर्मित हैं। हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने HAL को अतिरिक्त 97 तेजस बनाने के लिए ₹62,370 करोड़ का नया कॉन्ट्रैक्ट दिया है। यह हल्का, सिंगल-इंजन लड़ाकू विमान हवा, पानी और जमीन, तीनों जगह सटीक हमला करने में सक्षम है। नए विमानों में दुश्मनों को चकमा देने के लिए ‘स्वयं रक्षा कवच’ जैसी आधुनिक तकनीक भी होगी।
मेक इन इंडिया के लिए बड़ी सफलता
यह सफलता न केवल वायुसेना की ताकत बढ़ाएगी, बल्कि भारत के रक्षा उत्पादन और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के लिए भी एक बड़ी छलांग साबित होगी।