वॉशिंगटन :अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) की नई ग्रूमिंग नीति ने सिख, मुस्लिम और यहूदी जैसे धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों में गहरी चिंता पैदा कर दी है। रक्षा सचिव पीट हेगसेथ द्वारा जारी हालिया मेमो के तहत सैन्य दाढ़ी रखने की छूट लगभग समाप्त कर दी गई है। इससे धार्मिक आधार पर दाढ़ी रखने वाले सैनिकों की सेवाओं पर संकट मंडरा रहा है।
नई नीति के अनुसार सेना 2010 से पहले के मानकों पर लौट रही है, जिसमें दाढ़ी की छूट को “सामान्यतः अनुमत नहीं” माना गया था। 30 सितंबर को मरीन कॉर्प्स बेस क्वांटिको में वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए हेगसेथ ने दाढ़ी को “सुपरफिशियल व्यक्तिगत अभिव्यक्ति” करार दिया। इसके बाद पेंटागन ने सभी सैन्य शाखाओं को आदेश दिया कि 60 दिनों के भीतर अधिकांश धार्मिक दाढ़ी छूट समाप्त कर दी जाए। केवल विशेष बलों को स्थानीय आबादी में घुलमिलने के उद्देश्य से अस्थायी छूट दी जाएगी।
2017 में सेना ने सिख सैनिकों के लिए दाढ़ी और पगड़ी की स्थायी छूट को औपचारिक मान्यता दी थी। मुस्लिम, ऑर्थोडॉक्स यहूदी और नॉर्स पगान सैनिकों को भी धार्मिक आधार पर छूट प्राप्त थी। लेकिन अब नई नीति 1981 के सुप्रीम कोर्ट फैसले गोल्डमैन बनाम वेनबर्गर से प्रेरित पुराने सख्त नियमों पर लौट रही है।
सिख कोअलिशन ने इस कदम पर “क्रोधित और गहरी चिंता” जताई है। संगठन ने कहा कि सिखों की केश परंपरा उनकी पहचान का अभिन्न हिस्सा है और यह नीति वर्षों की समावेशिता की लड़ाई के साथ विश्वासघात है। एक सिख सैनिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मेरे केश मेरी पहचान हैं। यह नीति समावेशिता की लड़ाई के बाद विश्वासघात जैसा लगती है।”
सिख समुदाय का अमेरिकी सेना से जुड़ाव प्रथम विश्व युद्ध से है। 1917 में भगत सिंह थिंड पहले सिख थे जिन्हें पगड़ी पहनकर सेवा देने की अनुमति मिली थी। अदालतों ने 2011, 2016 और 2022 में सिखों के धार्मिक अधिकारों को मान्यता दी थी। सिख कोअलिशन का कहना है कि दाढ़ी सैन्य सेवा में बाधा नहीं है, क्योंकि सिख सैनिक गैस मास्क टेस्ट में पहले ही सफल साबित हो चुके हैं।