रायपुर। कस्टम मिलिंग घोटाले की जांच में ईओडब्ल्यू ने सोमवार को विशेष न्यायालय में लगभग 1500 पन्नों का पूरक चालान पेश किया। चालान में सेवानिवृत्त IAS अनिल टुटेजा और होटल कारोबारी अनवर ढेबर को मुख्य आरोपित बताया गया है। दोनों फिलहाल रायपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं।
ईओडब्ल्यू ने पूरक चालान में आरोप लगाया है कि अनिल टुटेजा ने राइस मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर प्रारंभ से ही आपराधिक षड्यंत्रपूर्वक कस्टम मिलिंग घोटाले को अंजाम दिया। इस घोटाले में राइस मिलरों से अवैध वसूली कर लगभग 20 करोड़ रुपए प्राप्त किए गए।
जांच एजेंसी के अनुसार, राइस मिलरों से अवैध वसूली के लिए मार्कफेड के जिला विपणन अधिकारियों पर दबाव डाला जाता था और मिलरों के बिल लंबित रखे जाते थे। दबाव में आए मिलर प्रति क्विंटल 20 रुपये की दर से अवैध रकम देते थे।
पूर्व कांग्रेस प्रभावशाली कारोबारी अनवर ढेबर पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2022-23 में कस्टम मिलिंग घोटाले के लिए अनिल टुटेजा के पक्ष में अवैध वसूली का संग्रहण, खर्च और निवेश किया। आयकर विभाग के छापों के दौरान प्राप्त डिजिटल सबूतों से यह भी सामने आया कि ढेबर शराब घोटाले के साथ-साथ पीडब्ल्यूडी और वन विभाग पर भी गहरा प्रभाव रखते थे।
ईओडब्ल्यू ने 29 जनवरी 2024 को पहली FIR दर्ज की थी, जिसमें रोशन चंद्राकर, मनोज सोनी, अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, सिद्धार्थ सिंघानिया और कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल आदि के नाम शामिल थे। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि कस्टम मिलिंग के नाम पर राइस मिलरों से 140 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली की गई।
ईओडब्ल्यू के अनुसार वर्ष 2020-21 से पहले कस्टम मिलिंग के बदले मिलरों को प्रति क्विंटल 40 रुपये का भुगतान किया जाता था, जिसे कांग्रेस सरकार ने तीन गुना बढ़ा दिया। मिलर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर ने अफसरों को लेवी की जानकारी दी, जिससे अवैध वसूली संभव हो सकी।
घोटाले में शामिल अन्य कांग्रेस नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ भी विवेचना जारी है।