
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत अब अपनी सैन्य क्षमताओं को नई ऊंचाई पर ले जाने की तैयारी में जुट गया है। देश आने वाले वर्षों में 52 सैन्य सैटेलाइट्स लॉन्च करने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है, जो दुश्मन देशों—विशेषकर पाकिस्तान और चीन—पर आसमान से पैनी नजर रखेंगे।
इस परियोजना के अंतर्गत सेना को एक मजबूत अंतरिक्ष निगरानी तंत्र मिलने जा रहा है, जिससे सीमाओं के पार हर हलचल का वास्तविक समय में पता लगाया जा सकेगा। यह रणनीति स्पेस बेस्ड सर्विलांस प्रोग्राम (SBS-3) का तीसरा चरण है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा कैबिनेट कमेटी ने अक्टूबर 2024 में मंजूरी दी थी।
26,968 करोड़ की परियोजना, ISRO और निजी कंपनियों की साझेदारी
इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 26,968 करोड़ रुपये है। इसमें से 21 सैटेलाइट्स का प्रक्षेपण ISRO द्वारा किया जाएगा, जबकि 31 सैटेलाइट निजी कंपनियों के माध्यम से लॉन्च किए जाएंगे। फिलहाल तीन निजी कंपनियों से अनुबंध हो चुका है और उन्हें सैटेलाइट निर्माण व प्रक्षेपण के लिए तेज़ी से कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।
पहली दो सैटेलाइट्स अप्रैल 2026 तक लॉन्च होने की योजना है, जबकि 2029 के अंत तक सभी 52 सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में तैनात कर दिए जाएंगे।
डिफेंस स्पेस एजेंसी की अगुवाई में बड़ा मिशन
यह पूरी परियोजना रक्षा मंत्रालय की डिफेंस स्पेस एजेंसी के तहत संचालित की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, इन सैटेलाइट्स का मुख्य उद्देश्य चीन और पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों और गतिविधियों की गहराई से निगरानी करना है। इसके साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र में भी निगरानी को बढ़ाया जाएगा, जिससे समुद्री सुरक्षा को भी नई मजबूती मिलेगी।
स्पेस डॉक्ट्रिन और मानव रहित हवाई प्लेटफॉर्म्स की तैयारी
इसके साथ ही भारत स्पेस डॉक्ट्रिन (अंतरिक्ष रणनीति) को अंतिम रूप देने की दिशा में भी तेजी से बढ़ रहा है। यह डॉक्ट्रिन भविष्य में रक्षा क्षेत्र में अंतरिक्ष के उपयोग की रूपरेखा तैयार करेगी।
इसके अलावा, भारतीय वायुसेना भी तीन उच्च ऊंचाई वाले मानव रहित हवाई प्लेटफॉर्म सिस्टम विकसित कर रही है, जो इन सैटेलाइट्स के साथ समन्वय में काम करेंगे। ये एयरक्राफ्ट अंतरिक्ष आधारित निगरानी में अहम भूमिका निभाएंगे।
ऑपरेशन सिंदूर से मिली प्रेरणा
गौरतलब है कि हाल ही में सफल ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने सैटेलाइट निगरानी की मदद से पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों की पहचान की थी, जिससे सेना को सटीक कार्रवाई में मदद मिली। इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया कि अंतरिक्ष से की गई निगरानी, जमीन पर सैन्य अभियान को कितना सटीक और प्रभावी बना सकती है।
यह महत्वाकांक्षी सैटेलाइट प्रोग्राम भारत को एक अंतरिक्ष-सक्षम रक्षा शक्ति में तब्दील करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। आने वाले वर्षों में भारत की सीमाएं और अधिक सुरक्षित और डिजिटल रूप से सक्षम हो जाएंगी।