
भिलाई| जहाँ आमतौर पर “सरकारी डॉक्टर” शब्द सुनते ही लोगों के मन में उदासीनता, लापरवाही और दूरी का भाव आता है, वहीं डॉ. अनिल शुक्ला इस सोच को पूरी तरह से बदल चुके हैं। अपने व्यवहार, सेवा-भाव, कार्यकुशलता और कड़ी कार्रवाई के लिए जाने जाने वाले डॉ. शुक्ला आज सरकारी स्वास्थ्य सेवा का एक चमकता चेहरा बन गए हैं।
कुष्ठ, टीबी और एड्स जैसे रोगों में विशेष योगदान
डॉ. शुक्ला ने कुष्ठ, टीबी और एड्स जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज और जन-जागरूकता में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। अप्रैल 2020 से लगातार वह जिला कुष्ठ/टीबी/एड्स नियंत्रण अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे हैं और इनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में 350 नए कुष्ठ रोगी, 3084 टीबी रोगी और 168 एड्स पॉजिटिव केस की पहचान कर इलाज किया गया।
कोरोना काल में निभाई अहम भूमिका
कोरोना महामारी के दौरान डॉ. शुक्ला ने कोविड केयर सेंटर, क्वारंटाइन सेंटर और कोविड अस्पतालों में नोडल अधिकारी के रूप में नेतृत्व किया। चार महीनों तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में मेडिकल टीम का हिस्सा रहते हुए उन्होंने हजारों लोगों की जांच व उपचार सुनिश्चित किया।
सम्मान और पहचान
गणतंत्र दिवस 2024 को “कुष्ठ के विरुद्ध युद्ध अभियान” के लिए उपमुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित।
2023 में कृषि मंत्री और कलेक्टर, दुर्ग द्वारा गणतंत्र दिवस पर सम्मान।
मुख्यमंत्री और मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कुष्ठ अभियान में उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित।
कोरोना काल में अद्वितीय सेवा के लिए जिला न्यायाधीश, दुर्ग से भी सम्मान प्राप्त।
दबंग अधिकारी, सरल इंसान
बालोद से लेकर दुर्ग और अब अंबिकापुर तक, जहाँ भी डॉ. शुक्ला पदस्थ रहे हैं, वहाँ के नर्सिंग होम और मेडिकल स्टोर संचालकों की मनमानी पर उन्होंने अंकुश लगाया। उनकी छवि एक सख्त लेकिन संवेदनशील अधिकारी की है, जो जनता के लिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं। मरीजों के बीच वह एक “सरल और सहज डॉक्टर” के रूप में प्रसिद्ध हैं।
सामाजिक संदेश और गांधीवाद का पालन
कुष्ठ रोग के खिलाफ अभियान को गांधीजी के सिद्धांतों से जोड़ते हुए डॉ. शुक्ला ने महात्मा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर गांवों में प्रतिमा स्थापना और छुआछूत विरोधी जनजागरूकता अभियान चलाया, जिसे ग्रामीणों ने हाथों-हाथ लिया।