
दुर्ग। नगर पालिका निगम के सभापति श्याम शर्मा और अधिवक्ता नीरज चौबे के बीच ऋषभ कॉलोनी में रास्ता अवरुद्ध होने को लेकर हुए विवाद ने बड़ा मोड़ ले लिया। इस मामले में अधिवक्ता नीरज चौबे पर कार से कुचलने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद नीरज चौबे ने अग्रिम जमानत के लिए जिला सत्र न्यायालय में आवेदन दिया, जिस पर न्यायाधीश विनोद कुजूर की अदालत में सुनवाई हुई।
नीरज चौबे की ओर से पेश किए गए आवेदन में कहा गया कि श्याम शर्मा, जो एक राजनीतिक दल से जुड़े हैं और नगर निगम के सभापति हैं, उन्होंने अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल करते हुए झूठे आरोप लगाए हैं। नीरज चौबे ने यह भी दावा किया कि विवाद के दौरान श्याम शर्मा ने उनके खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया और खुद को बड़ा नेता बताते हुए धमकाया।
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद नीरज चौबे को शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दे दी। कोर्ट ने 5-5 हजार रुपये की दो सक्षम जमानत एवं 10 हजार रुपये का निजी मुचलका पेश करने की शर्त पर राहत दी।
इस पूरे मामले में पुलगांव थाना प्रभारी द्वारा कोर्ट में विरोध प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था। शिकायतकर्ता श्याम शर्मा ने बताया कि 6 जुलाई की रात नीरज चौबे अपनी कार से घर के सामने लगातार हॉर्न बजा रहे थे, जिस पर उनके बच्चे बाहर आए। आरोप है कि चौबे ने बच्चों से अभद्र व्यवहार किया, स्कूटी को टक्कर मारी और जान से मारने की धमकी देते हुए कार चढ़ाने का प्रयास किया।
इस पर पुलगांव थाने में चौबे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 296, 115(2), 351(2), 281, 125ए, 109, 184 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। अदालत में नीरज चौबे की ओर से अधिवक्तागण राजकुमार तिवारी, नीता जैन, रविशंकर सिंह सहित कई अन्य अधिवक्ता उपस्थित थे, जबकि शासन की ओर से लोक अभियोजक एम.के. दिल्लीवार ने पक्ष रखा।