
नई दिल्ली/रायपुर : जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) और कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने छत्तीसगढ़ राज्य में 68 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) को सशक्त करने के लिए साझेदारी की है। यह पहल CIL के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत की जा रही है, जिसके माध्यम से 28,000 से अधिक जनजातीय छात्रों को लाभ मिलेगा।
इस परियोजना को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम (NSTFDC) के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा, जो मंत्रालय के अंतर्गत एक सेक्शन 8 कंपनी है।
EMRS का उद्देश्य और महत्व
भारत सरकार ने अनुसूचित जनजाति के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) की स्थापना की है। ये विद्यालय न केवल छात्रों को उच्च और व्यावसायिक शिक्षा के लिए तैयार करते हैं, बल्कि उनके पोषण, स्वास्थ्य और समग्र विकास का भी ध्यान रखते हैं।
वर्तमान में देशभर में 479 ईएमआरएस कार्यरत हैं। ये स्कूल आदिवासी समाज के छात्रों को समान अवसर और एक सशक्त भविष्य की ओर अग्रसर करने का माध्यम हैं।
सीआईएल का योगदान: क्या-क्या होगा शामिल
कोल इंडिया लिमिटेड ने इस परियोजना के लिए 10 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है, जिसका उपयोग निम्नलिखित कार्यों में किया जाएगा:
डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा:
लगभग 3200 कंप्यूटर और 300 टैबलेट खरीदे जाएंगे। सभी स्कूलों में कंप्यूटर लैब की स्थापना की जाएगी।
छात्राओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता पर ध्यान:
लगभग 1200 सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें और 1200 भस्मक (इंसिनिरेटर) स्कूलों और छात्रावासों में लगाए जाएंगे।
करियर गाइडेंस और उद्यमिता विकास:
छात्रों के लिए विस्तृत मार्गदर्शन कार्यक्रम चलाए जाएंगे। साथ ही आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी जैसे संस्थानों में आवासीय उद्यमशीलता शिविर आयोजित किए जाएंगे।
इस साझेदारी का मूल उद्देश्य आदिवासी युवाओं के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अंतर को पाटना, उन्हें तकनीकी और करियर की दृष्टि से तैयार करना और उद्यमशीलता की मानसिकता विकसित करना है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के लक्ष्य – “सभी वर्गों के लिए समान और समावेशी शैक्षिक अवसर सुनिश्चित करना” – के साथ जुड़ी हुई है।
भविष्य की दिशा में मजबूत कदम
जनजातीय कार्य मंत्रालय और CIL की यह पहल समाज के उस वर्ग तक पहुंचने का प्रयास है, जो अब तक शिक्षा की मुख्यधारा से वंचित रहा है। डिजिटल युग में जब तकनीक शिक्षा का आधार बन चुकी है, तब यह सहयोग जनजातीय छात्रों को प्रतिस्पर्धी माहौल में आगे बढ़ने का मंच देगा।
इससे ना सिर्फ छात्रों की शैक्षिक गुणवत्ता बेहतर होगी, बल्कि वे स्वास्थ्य जागरूकता, डिजिटल साक्षरता और आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर भी कदम बढ़ा सकेंगे।