ICICI बैंक  लोन स्कैम: रिश्वतखोरी में फंसी चंदा कोचर, 64 करोड़ के लेन-देन ने खोली पोल

नई दिल्ली | ICICI बैंक की पूर्व CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर चंदा कोचर एक बार फिर कानूनी संकट में घिर गई हैं। अपीलीय न्यायाधिकरण ने एक अहम फैसले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच को सही ठहराते हुए यह माना है कि चंदा कोचर ने वीडियोकॉन समूह को ₹300 करोड़ का लोन मंजूर करने के बदले ₹64 करोड़ की रिश्वत ली थी।

न्यायाधिकरण ने इसे “Quid Pro Quo” यानी ‘कुछ के बदले कुछ’ का साफ मामला बताया है। फैसले में कहा गया है कि लोन मंजूरी के ठीक अगले दिन वीडियोकॉन से जुड़ी कंपनी SEPL ने ₹64 करोड़ दीपक कोचर की कंपनी NRPL को ट्रांसफर किए थे। यह रकम प्रत्यक्ष रूप से चंदा कोचर के प्रभाव का लाभ उठाकर दी गई रिश्वत थी।

जांच में यह भी सामने आया कि NRPL पर वास्तविक नियंत्रण दीपक कोचर का ही था, हालांकि कागजों में इसे वीडियोकॉन प्रमुख वेणुगोपाल धूत का बताया गया था। चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने ICICI बैंक के आंतरिक नियमों और हितों के टकराव की नीति का उल्लंघन करते हुए लोन पास किया और अपने पति के वीडियोकॉन से व्यावसायिक संबंधों को छिपाया।

अपीलीय न्यायाधिकरण ने 2020 के उस निचली अदालत के फैसले को भी खारिज कर दिया जिसमें चंदा कोचर, दीपक कोचर और अन्य की 78 करोड़ रुपये की संपत्तियों को रिलीज करने का आदेश दिया गया था। न्यायाधिकरण ने टिप्पणी की कि निचली अदालत ने ईडी द्वारा प्रस्तुत महत्वपूर्ण साक्ष्यों की अनदेखी की थी।

इस फैसले ने न केवल चंदा कोचर की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उच्च पद पर रहते हुए नैतिकता और पारदर्शिता से समझौता करना कितना भारी पड़ सकता है।

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