
दुर्ग। छत्तीसगढ़ में शिक्षक बनने का सपना देख रहे हजारों छात्रों के लिए बुरी खबर है। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (NCTE) ने दुर्ग जिले के 17 B.Ed कॉलेजों की मान्यता पर रोक लगा दी है। फर्जी दस्तावेजों, अधूरी आधारभूत सुविधाओं और शिक्षक-स्टाफ की भारी कमी के चलते यह कार्रवाई की गई है, जिससे शिक्षा जगत में हड़कंप मच गया है। अगस्त में शुरू होने वाली B.Ed काउंसलिंग पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
कॉलेजों ने छुपाई हकीकत, NCTE का शिकंजा कसता गया
NCTE ने इन कॉलेजों को नोटिस जारी कर इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ और शिक्षकों की संख्या समेत कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। लेकिन डर के मारे अधिकतर कॉलेजों ने अपनी रिपोर्ट (PAR) भेजी ही नहीं। जो कॉलेज रिपोर्ट भेजने की हिम्मत जुटा पाए, वे NCTE के मानकों पर खरे नहीं उतर पाए। नतीजतन, दुर्ग जिले के कुल 35 B.Ed कॉलेजों में से सिर्फ 18 कॉलेजों को ही हेमचंद यादव विश्वविद्यालय ने काउंसलिंग के लिए संबद्धता दी है।
विश्वविद्यालय की भूमिका पर उठे सवाल
बड़ा सवाल यह है कि जब इन कॉलेजों में वर्षों से खामियां चली आ रही थीं, तो हेमचंद यादव विश्वविद्यालय हर साल इन्हें कैसे सशर्त संबद्धता देता रहा? विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि कॉलेज हर बार व्यवस्था सुधारने का आश्वासन देते हैं, इसी के आधार पर उन्हें शर्तों के साथ संबद्धता दी जाती रही। लेकिन यह भी सच है कि विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से इन कॉलेजों का केवल एक बार औचक निरीक्षण हुआ था, जिसमें बड़ी अनियमितताएं उजागर हुई थीं। इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई न होना एजुकेशन माफिया के दबाव की ओर संकेत करता है।
सीटों पर भी दिखा असर, 200 सीटें हुईं खत्म
NCTE की सख्ती का सीधा असर B.Ed सीटों पर पड़ा है। दुर्ग के प्रतिष्ठित कल्याण महाविद्यालय में पहले B.Ed की 6 यूनिट (300 सीटें) थीं, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण अब केवल 2 यूनिट (100 सीटें) ही रह गई हैं। इससे दुर्ग जिले में इस साल B.Ed की 200 सीटें घट गई हैं, जिसका असर छात्रों पर सीधा पड़ेगा।
नियमों की खुलेआम उड़ाई जा रही धज्जियां
दुर्ग जिले में कई B.Ed कॉलेज महज कुछ कमरों में संचालित हो रहे हैं। न तो उनके पास NCTE के नियमों के अनुसार पर्याप्त भूमि है और न ही योग्य शिक्षक। नियमानुसार, दो यूनिट के लिए कम से कम 16 शिक्षकों की आवश्यकता होती है, लेकिन कई कॉलेजों में 6 शिक्षक भी नहीं हैं। कई संस्थानों में तो एक ही परिसर में नर्सिंग, साइंस और B.Ed जैसे कोर्स एक साथ चलाए जा रहे हैं, जो सीधे-सीधे नियमों का उल्लंघन है।
सवाल अब भी कायम: क्या इस बार होगी सख्ती?
विश्वविद्यालय प्रशासन अब जांच टीम गठित कर सरप्राइज चेकिंग की बात कह रहा है। खामियां मिलने पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन भी दिया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार वाकई कोई ठोस कदम उठाया जाएगा या फिर हर साल की तरह इस बार भी “सशर्त संबद्धता” का खेल चलता रहेगा?
छात्र बोले—भविष्य से खिलवाड़ बंद हो
छात्रों का कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ बंद होना चाहिए। फर्जी दस्तावेजों और अधूरी सुविधाओं के साथ चल रहे कॉलेजों पर नकेल कसी जानी चाहिए ताकि योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक तैयार हो सकें, जो भविष्य में समाज को सही दिशा दे सकें।