आर्थिक तंगी में फंसी नासा, सैटेलाइट्स बेचने की तैयारी में जेट प्रोपल्शन लैब

वॉशिंगटन | दुनिया की सबसे बड़ी और समृद्ध मानी जाने वाली अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) इन दिनों वित्तीय संकट से जूझ रही है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित भारी फंड कटौती के चलते नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL) ने अपने कुछ सैटेलाइट्स को बेचने की योजना बनाई है। इस योजना को “बिजनेस सेल” नाम दिया गया है, जिसके तहत पृथ्वी निगरानी करने वाले कई उपग्रहों को बिक्री के लिए सूचीबद्ध किया जा रहा है।

ट्रंप प्रशासन की इस फंड कटौती का सबसे बड़ा असर नासा के विज्ञान निदेशालय (Science Directorate) पर पड़ा है, जहां बजट में 50% तक की कटौती प्रस्तावित है। इससे न केवल अंतरग्रहीय (Interplanetary) मिशन प्रभावित होंगे, बल्कि पृथ्वी से जुड़े जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और मौसम संबंधी कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी संकट में आ गए हैं।

जलवायु परिवर्तन पर सियासत भारी

नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन की उदासीनता और इनकार की नीति का यह सीधा परिणाम है। JPL के सीनियर इंजीनियर लुइस अमारो ने लिंक्डइन पर तंज कसते हुए लिखा— “हमें इन दिनों JPL में मजाकिया मूड बनाए रखना पड़ रहा है।” वहीं, नासा के आर्टेमिस IV मिशन के इंटीग्रेशन हेड यूसुफ जॉनसन ने ट्रंप समर्थकों की तीखी आलोचना करते हुए कहा— “सांप का तेल अब भी बिकता है।”

सैटेलाइट्स की बिक्री से फंड जुटाने की कवायद

नासा जिन सैटेलाइट्स को बेचने की योजना बना रही है, उनमें कई पृथ्वी-निगरानी उपग्रह शामिल हैं, जो पर्यावरणीय परिवर्तन, ग्लेशियरों की स्थिति, समुद्री जलस्तर और तूफानों की निगरानी का कार्य करते हैं। इनमें से कुछ सैटेलाइट्स ऐसे भी हैं जिनका प्रक्षेपण अभी होना बाकी है। बिक्री के जरिए नासा उन अधूरे और रुके हुए प्रोजेक्ट्स के लिए फंड जुटाना चाहती है, जो बजट कटौती के कारण संकट में हैं।

वैज्ञानिकों में नाराजगी और चिंता

नासा और JPL के कई वैज्ञानिक इस स्थिति से व्यथित और नाराज हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की निगरानी करने वाले मिशनों को रोकना न केवल विज्ञान के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। सैटेलाइट्स के जरिए प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व चेतावनी देना और पर्यावरणीय बदलावों पर नजर रखना संभव होता है, लेकिन फंड की कमी से ये मिशन अधर में लटक सकते हैं।

निजी क्षेत्र में सैटेलाइट्स की बिक्री संभव

रिपोर्ट्स के मुताबिक, नासा अब सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ निजी कंपनियों को भी सैटेलाइट्स बेचने की योजना पर विचार कर रही है। इससे मिलने वाले फंड से नासा अपने बाकी बचे हुए प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ा सकेगी। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कदम नासा की वैज्ञानिक स्वतंत्रता और मिशन प्राथमिकताओं पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।

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