देहरादून | अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित योग कार्यक्रम में भाग लिया और देशवासियों को योग दिवस की शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में योग को मानवता की साझा धरोहर बताते हुए इसे स्वास्थ्य, सुख और शांति का माध्यम कहा।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा, “2015 से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर दुनिया के अधिकतर देशों में योगाभ्यास का आयोजन होता रहा है। यह भारत की पहल का परिणाम है कि आज योग को वैश्विक मान्यता मिली है और विश्व समुदाय इसके लाभों को आत्मसात कर रहा है।”
‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ थीम पर रखा जोर
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने 11वें योग दिवस की थीम ‘One Earth, One Health’ (एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य) को अत्यंत प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि “योग व्यक्ति को स्वयं से, समाज से, और फिर विश्व से जोड़ने का कार्य करता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य देता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है।”
योग किसी धर्म से नहीं, मानवता से जुड़ा है
राष्ट्रपति मुर्मु ने योग को लेकर फैलाए जा रहे कुछ भ्रमों पर भी स्पष्ट टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “योग किसी धर्म, संप्रदाय या पंथ से जुड़ा हुआ नहीं है। यह जीवन जीने की एक वैज्ञानिक और सहज पद्धति है, जिससे सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है।”
उन्होंने योग संस्थानों से आग्रह किया कि वे योग को सरल और जनसुलभ बनाएं ताकि हर नागरिक इसका लाभ ले सके।
योग को दिनचर्या में शामिल करने की अपील
राष्ट्रपति ने कहा, “स्वास्थ्य ही संपदा है और इस अमूल्य संपदा को बनाए रखना हम सभी का दायित्व है। योग को हम सबको अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए ताकि शरीर, मन और आत्मा तीनों स्वस्थ रह सकें।”
उपराष्ट्रपति ने भी दी शुभकामनाएं
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी देशवासियों को योग दिवस की बधाई दी। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,
“भारत की 5000 वर्षों पुरानी सभ्यता में निहित योग, अब सीमाओं से परे जाकर पूरी मानवता को स्वास्थ्य और सौहार्द से जोड़ रहा है। यह भारत का वह उपहार है जिसने विश्व को शांति, शक्ति और एकता का रास्ता दिखाया है।”