
जेरूसलम | गाजा में हमास के खिलाफ करीब दो वर्षों से जारी युद्ध के कारण इजरायल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्त दबाव में आ गया है। यूरोप के देशों में इजरायल के प्रति असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। एक ओर जहां कई यूरोपीय देश फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देने की तैयारी में हैं, वहीं नीदरलैंड ने इजरायल पर सबसे कड़ा प्रहार किया है।
डच सरकार ने इजरायल के विदेश मंत्री बेजालेल स्मॉट्रिक और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन ग्विर के देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। नीदरलैंड के विदेश मंत्री कासपर वालदेकाम्प ने सांसदों को भेजे पत्र में कहा कि यह फैसला दोनों मंत्रियों के भड़काऊ बयानों के कारण लिया गया है, जिनसे गाजा में हालात और अधिक बिगड़े हैं। डच सरकार इजरायल के राजदूत मोदी एफरैम को भी तलब करने जा रही है।
इजरायल के लिए चुनौती यहीं खत्म नहीं होती। फ्रांस ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की बात खुलकर कही है, जबकि ब्रिटेन ने भी संकेत दिए हैं कि अगर गाजा में युद्ध नहीं थमा तो वह भी इसी राह पर चल सकता है। इसके अलावा, यूरोपीय यूनियन के कई देशों ने इजरायल को दी जाने वाली रिसर्च फंडिंग में कटौती का ऐलान कर दिया है। इन घटनाक्रमों ने इजरायल को यूरोपीय मंचों पर लगभग अलग-थलग कर दिया है।
हालांकि, अमेरिका इजरायल का खुला समर्थन कर रहा है, लेकिन पश्चिमी देशों का इस तरह का कदम इजरायल के लिए कूटनीतिक चिंता का बड़ा कारण बनता जा रहा है। इजरायल ने फ्रांस की फिलिस्तीन मान्यता पहल पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, और कहा है कि यह कदम हमास के आतंकवाद को वैधता देने जैसा है। इजरायल ने चेतावनी दी है कि फ्रांस आग से खेल रहा है।
यूरोपीय देशों का कहना है कि गाजा में हालात बेहद अमानवीय हो चुके हैं। इसी चौतरफा अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते इजरायल को प्रतिदिन 10 घंटे के लिए युद्ध विराम पर सहमत होना पड़ा है, ताकि फिलिस्तीनी नागरिकों तक मानवीय सहायता पहुंचाई जा सके।
एक नजर में घटनाक्रम:
- नीदरलैंड ने इजरायल के दो कट्टरपंथी मंत्रियों पर देश में एंट्री बैन लगाया।
- फ्रांस और ब्रिटेन फिलिस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता देने पर विचार कर रहे।
- यूरोपीय देशों ने इजरायल की रिसर्च फंडिंग में कटौती का निर्णय लिया।
- अमेरिका इजरायल के साथ, लेकिन यूरोप में बढ़ता अलगाव इजरायल के लिए बड़ी चुनौती।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते इजरायल ने 10 घंटे का दैनिक युद्ध विराम घोषित किया।