
भिलाई : वर्ष 1996 में जब 13 राष्ट्रीय दलों ने मिलकर सरकार बनाई थी, माननीय एच.डी.देवेगौड़ा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया
गया था ।।तत्कालीन कुछ घटनाओ को समाहित करते हुए मैंने यह रचना वर्ष 1997 में लिखी थी ।।आज बहुत सालों बाद पुरानी डायरी हाथ लगी ,सोचा आप लोगो के साथ शेयर कर लूँ ।। रचना थोड़ी लंबी है ,मित्रों की प्रतिक्रिया का इन्तेजार रहेगा !!!
मूर्तिकार ने बक्सा खोला ,
हिंदुस्तानी चरित्रों को सड़क
पर दिया स्थान ,और करने लगा ,
मूर्तियों का बखान,
कि आइये भाई साहब
सस्ता सुंदर टिकाऊ है ।।
” हिंदुस्तानी चरित्र मूर्तियों में बिकाऊ है “
मेरी मूर्तियों में
हिन्दू है ,मुस्लिम है,सिक्ख है,ईसाई है ,
और यकीन मानिए ,
पूरी मूर्तियाँ एक ही मिट्टी से बनाई हैं ।।
सत्ता के दलाल,जनता के रखवाले ,
धर्म के ठेकेदार, मंदिर मस्जिद के नाम पर
दंगे करवाने वाले ,और तो और
कुछ ईमानदार पुलिस वाले ,
कुत्ते सा पलता इन्सान,
” खरीदेंगे श्री मान “
सस्ता सुंदर टिकाऊ है ,
” हिंदुस्तानी चरित्र मूर्तियों में
बिकाऊ है “
भूख से बिलखता बच्चा ,
शिक्षित बेरोजगार,
सुखद भविष्य के सपने संजोता अधेड़,
पेंशन की तलाश में बूढ़ा और
आश्वासनों में जीता इन्सान ,
खरीदेंगे श्रीमान ?
सस्ता सुंदर टिकाऊ है
” हिंदुस्तानी चरित्र मूर्तियों में बिकाऊ है ।।
और इसे देखिए
ये हिंदुस्तानी बच्चा है श्रीमान
कभी टूटी झोपड़ी में,
कभी सरकारी अस्पताल में,
कभी सड़क किनारे फुटपाथ पर,
अपनी आंखें खोलता है,
बाप का नाम पूछने पर ,
आकाश में झांकता है,फिर मोहल्ले
के समाजसेवी की ओर ताकता है ।।
और इसे देखिए श्रीमान
ये शिक्षित बेरोजगार है ,
सरकारी आश्वासनो का शिकार है ,
इसने देखा है कड़वा अतीत ,
जहरीला वर्तमान ,फिर भी
सुखद भविष्य के सपने संजोता
ये इन्सान ।।
खरीदेंगे श्रीमान ?
सस्ता सुंदर टिकाऊ है ।
” हिंदुस्तानी चरित्र मूर्तियों में बिकाऊ है ।।
और इसे देखिए !
डावर मैन प्रजाति का कुत्ता है सरकार
पूरे पुलिस महकमे का एक मात्र ईमानदार ,
यह चोरी नही करवाता ,डाके नही डलवाता
दारू नही बिकवाता, दंगे नही करवाता ,
किसी वरिष्ठ अधिकारी से नही डरता ,
और तो और थाने में ” बलात्कार “
भी नही करता !!
एक मूर्ति खरीदिये भाई साहब
आपका सौदा सौ प्रतिशत खरा है ।
मेरी मूर्तियों का चरित्र ,
संसद की मूर्तियों से भला है ।।
” ये मुर्तियां स्वार्थ की लड़ाई नही लड़ती ,
मंदिर मस्जिद के नाम पर ,
खून नही बहाती,
मुर्तियां जिस्म का बाजार नही होती,
मुर्तियां आरक्षण का शिकार नही होती ।।
गिरती गिरकर टूटती हैं मुर्तियां ,
पर मुर्तियां वतन की गद्दार नही होती ।।
मुर्तियां घोटाले नही करती ,
मुर्तियां भूख से नही मरती ।।
मूर्तियों में जान नही होती ,
मुर्तियां बेईमान नही होती ।।
मूर्तियों का चारित्रिक पतन नही होता,
मूर्तियों को समर्थन की दरकार नही होती ,
क्योंकि मूर्तियाँ “अस्थायी सरकार “
नही होती !!
ये कैसी विडम्बना है कि
हमारा स्वाभिमान मूर्तियों सा
जड़ हो गया ।।
हमारा कोमल हृदय मूर्तियों
का पत्थर हो गया ।।
” हमारा अस्तित्व सस्ता है सुंदर है
टिकाऊ है मूर्तियों सा बिकाऊ है !
कुत्ते सा पलता इन्सान,
आश्वासनों मैं जीता इंसान ।
सुनहरे भविष्य के जहरीले सपने
देखता इंसान !!
शर्म नही आती फिर भी कहते हो
“” मेरा भारत महान “
संजय कपूर " भिलाई "
छत्तीसगढ़ ।।।