सावन में करें शिव के 108 नामों का जाप, पूरी होंगी मनोकामनाएं और मिलेगा मानसिक शांति का वरदान

रायपुर। सावन का महीना हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और शुभ समयों में से एक माना जाता है। यह पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस बार सावन का प्रारंभ 11 जुलाई से हो चुका है और 9 अगस्त तक रहेगा। सावन के हर सोमवार को श्रावण सोमवार के रूप में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें श्रद्धालु व्रत रखते हैं और ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप कर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।

लेकिन धार्मिक मान्यता है कि सावन में भगवान शिव के 108 नामों का जाप करना विशेष रूप से फलदायी और मनोकामना पूर्ण करने वाला होता है।

क्यों करें शिव जी के 108 नामों का जाप?

भक्तों का विश्वास है कि शिव के 108 नामों का जाप करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। 108 संख्या केवल एक आंकड़ा नहीं बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है। योग और ध्यान शास्त्रों में भी यह संख्या विशेष मानी गई है, जिससे शरीर के 108 ऊर्जा केंद्र सक्रिय होते हैं।

कौन कर सकता है यह जाप?

  • कोई भी महिला या पुरुष, उम्र की सीमा नहीं।
  • विवाह योग्य कन्याएं यदि श्रावण सोमवार का व्रत रखकर इन नामों का जाप करें तो उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है।
  • मानसिक तनाव, आर्थिक तंगी या पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे लोग इस जाप से मानसिक शांति और समाधान पा सकते हैं।

शिव के 108 नामों का जाप करने की विधि:

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग के समक्ष आसन लगाकर बैठें।
  • रुद्राक्ष की माला लेकर प्रत्येक माला में 108 बार नामों का जाप करें।
  • यदि माला उपलब्ध न हो तो मन ही मन श्रद्धा से जाप करें।
  • बेलपत्र, जल, धतूरा, भस्म और दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें।

जाप करने का सर्वोत्तम समय और स्थान:

  • प्रातःकाल का समय सबसे शुभ माना गया है।
  • घर के पूजा स्थल या किसी शिव मंदिर में बैठकर जाप करना अत्यंत फलदायी होता है।

भगवान शिव के 108 नाम
ॐ भोलेनाथ नमः
ॐ कैलाश पति नमः
ॐ भूतनाथ नमः
ॐ नंदराज नमः
ॐ नन्दी की सवारी नमः
ॐ ज्योतिलिंग नमः
ॐ महाकाल नमः
ॐ रुद्रनाथ नमः
ॐ भीमशंकर नमः
ॐ नटराज नमः
ॐ प्रलेयन्कार नमः
ॐ चंद्रमोली नमः
ॐ डमरूधारी नमः
ॐ चंद्रधारी नमः
ॐ मलिकार्जुन नमः
ॐ भीमेश्वर नमः
ॐ विषधारी नमः
ॐ बम भोले नमः
ॐ ओंकार स्वामी नमः
ॐ ओंकारेश्वर नमः
ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः
ॐ विश्वनाथ नमः
ॐ अनादिदेव नमः
ॐ उमापति नमः
ॐ गोरापति नमः
ॐ गणपिता नमः
ॐ भोले बाबा नमः
ॐ शिवजी नमः
ॐ शम्भु नमः
ॐ नीलकंठ नमः
ॐ महाकालेश्वर नमः
ॐ त्रिपुरारी नमः
ॐ त्रिलोकनाथ नमः
ॐ त्रिनेत्रधारी नमः
ॐ बर्फानी बाबा नमः
ॐ जगतपिता नमः
ॐ मृत्युन्जन नमः
ॐ नागधारी नमः
ॐ रामेश्वर नमः
ॐ लंकेश्वर नमः
ॐ अमरनाथ नमः
ॐ केदारनाथ नमः
ॐ मंगलेश्वर नमः
ॐ अर्धनारीश्वर नमः
ॐ नागार्जुन नमः
ॐ जटाधारी नमः
ॐ नीलेश्वर नमः
ॐ गलसर्पमाला नमः
ॐ दीनानाथ नमः
ॐ सोमनाथ नमः
ॐ जोगी नमः
ॐ भंडारी बाबा नमः
ॐ बमलेहरी नमः
ॐ गोरीशंकर नमः
ॐ शिवाकांत नमः
ॐ महेश्वराए नमः
ॐ महेश नमः
ॐ ओलोकानाथ नमः
ॐ आदिनाथ नमः
ॐ देवदेवेश्वर नमः
ॐ प्राणनाथ नमः
ॐ शिवम् नमः
ॐ महादानी नमः
ॐ शिवदानी नमः
ॐ संकटहारी नमः
ॐ महेश्वर नमः
ॐ रुंडमालाधारी नमः
ॐ जगपालनकर्ता नमः
ॐ पशुपति नमः
ॐ संगमेश्वर नमः
ॐ दक्षेश्वर नमः
ॐ घ्रेनश्वर नमः
ॐ मणिमहेश नमः
ॐ अनादी नमः
ॐ अमर नमः
ॐ आशुतोष महाराज नमः
ॐ विलवकेश्वर नमः
ॐ अचलेश्वर नमः
ॐ अभयंकर नमः
ॐ पातालेश्वर नमः
ॐ धूधेश्वर नमः
ॐ सर्पधारी नमः
ॐ त्रिलोकिनरेश नमः
ॐ हठ योगी नमः
ॐ विश्लेश्वर नमः
ॐ नागाधिराज नमः
ॐ सर्वेश्वर नमः
ॐ उमाकांत नमः
ॐ बाबा चंद्रेश्वर नमः
ॐ त्रिकालदर्शी नमः
ॐ त्रिलोकी स्वामी नमः
ॐ महादेव नमः
ॐ गढ़शंकर नमः
ॐ मुक्तेश्वर नमः
ॐ नटेषर नमः
ॐ गिरजापति नमः
ॐ भद्रेश्वर नमः
ॐ त्रिपुनाशक नमः
ॐ निर्जेश्वर नमः
ॐ किरातेश्वर नमः
ॐ जागेश्वर नमः
ॐ अबधूतपति नमः
ॐ भीलपति नमः
ॐ जितनाथ नमः
ॐ वृषेश्वर नमः
ॐ भूतेश्वर नमः
ॐ बैजूनाथ नमः
ॐ नागेश्वर नमः

यदि परिस्थिति अनुकूल न हो तो कार्यस्थल या यात्रा के दौरान भी मन ही मन इन नामों का स्मरण किया जा सकता है।

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