केला और नारियल ही क्यों चढ़ाए जाते हैं भगवान को? जानें इसके पीछे की धार्मिक मान्यता

धार्मिक आस्था : हिंदू धर्म में भगवान और मंदिरों को भक्ति और श्रद्धा का केंद्र माना जाता है। जब भी भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर मंदिर पहुंचते हैं, तो वे भगवान के समक्ष नारियल और केला अर्पित करते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर पुनः दर्शन कर भगवान को धन्यवाद देने की परंपरा भी प्रचलित है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मंदिरों में विशेष रूप से नारियल और केले ही क्यों चढ़ाए जाते हैं?

क्यों चढ़ाया जाता है नारियल?

नारियल को संस्कृत में “श्रीफल” कहा जाता है, जो समृद्धि, ऐश्वर्य और धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाया जाता है। इसके कठोर आवरण को मनुष्य के अहंकार का प्रतीक माना गया है, जिसे फोड़ने पर आत्मसमर्पण का भाव उत्पन्न होता है। नारियल का सफेद हिस्सा मन की शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है, जबकि उसमें मौजूद जल श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है।

नारियल की तीन आंखें त्रिनेत्र शिव का प्रतीक हैं, जो भूत, भविष्य और वर्तमान की प्रतीक मानी जाती हैं। यह स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर का भी प्रतिनिधित्व करता है। धार्मिक मान्यता है कि नारियल को मिट्टी में गाड़ने से एक नया पेड़ उगता है, जो जीवन चक्र और पुनर्जन्म की शिक्षा देता है।

केले का महत्व और त्याग का संदेश

केला एक ऐसा फल है जो अपने सम्पूर्ण जीवन में त्याग और सेवा का उदाहरण प्रस्तुत करता है। केले का पेड़ जीवन में केवल एक बार फल देता है और उसके बाद खुद मुरझाकर अपनी जगह नई कोंपलों को दे देता है। यह गुण त्याग, निस्वार्थ सेवा और जीवन के चक्र का प्रतीक है।

केले का हर भाग पवित्र माना जाता है — पत्तियां पूजा-अर्चना में, तना धार्मिक कार्यक्रमों में और फल भगवान को भोग में अर्पित किया जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण और तंत्र ग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को केले का अर्पण अत्यंत प्रिय है। सत्यनारायण कथा में भी केले का फल और पत्तों का विशेष महत्व है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

अन्य फल बीजों के माध्यम से प्रजनन करते हैं, जिससे उनमें पूर्व जीवों के अंश हो सकते हैं। लेकिन नारियल और केला इस प्रकार प्रजनन नहीं करते, ये स्वच्छ और पूर्ण फल माने जाते हैं। इसलिए इन्हें पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक मानते हुए भगवान को अर्पित किया जाता है।

निष्कर्ष

नारियल आत्म समर्पण, अहंकार त्याग और समृद्धि का प्रतीक है, जबकि केला त्याग, सेवा और निस्वार्थ भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि मंदिरों में नारियल और केले का अर्पण न केवल धार्मिक परंपरा है, बल्कि इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अर्थ भी छिपा हुआ है।

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