भिलाई का मेगा प्रोजेक्ट: हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए बनेगी ‘सुपर-स्ट्रांग’ हेड हार्डेड रेल पटरी, SAIL ने दी 3000 करोड़ की मंजूरी

भिलाई। देश में हाई-स्पीड और मेट्रो ट्रेनों की रफ्तार को नई मजबूती देने के लिए भिलाई स्टील प्लांट (BSP) एक बड़े बदलाव की तैयारी में है। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) ने 3000 करोड़ रुपये की स्टेज-1 मंजूरी देकर ‘हेड हार्डेड’ रेल पटरियों के लिए नया “यूनिवर्सल रेल स्ट्रक्चर मिल” (URSM) लगाने की हरी झंडी दे दी है। यह तकनीक दुनिया के कुछ ही देशों के पास है और इससे भारत की विदेशों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।

क्या है ‘हेड हार्डेड’ रेल की खासियत
हेड हार्डेड रेल पटरियां विशेष तकनीक से बनाई जाती हैं, जिनकी ऊपरी सतह सामान्य पटरियों से करीब 1.5 गुना अधिक कठोर होती है। इसकी प्रमुख खूबियां—

  • अत्यधिक मजबूती: भारी मालगाड़ियों का भार भी आसानी से सहने की क्षमता।
  • लंबी उम्र: कठोर सतह होने के कारण कम घिसावट और लंबी सेवा अवधि।
  • हाई-स्पीड के लिए उपयुक्त: तेज रफ्तार और मेट्रो ट्रेनों के लिए आदर्श विकल्प।

नए प्लांट से क्या बदलेगा
वर्तमान में भिलाई स्टील प्लांट का मौजूदा यूनिवर्सल रेल मिल (URM) हेड हार्डेड पटरियां तो बनाता है, लेकिन धीमी उत्पादन गति और सीमित क्षमता के कारण रेलवे की बढ़ती मांग पूरी नहीं हो पाती। नया URSM प्लांट पूरी तरह इन्हीं विशेष पटरियों के उत्पादन के लिए समर्पित होगा, जिससे क्षमता कई गुना बढ़ेगी और अन्य पटरियों के उत्पादन में रुकावट भी नहीं आएगी।

रेलवे की भारी मांग
भारतीय रेलवे ने शुरुआत में ही 1 लाख टन हेड हार्डेड पटरियों की तत्काल आवश्यकता जताई है, जो भविष्य में बढ़कर सालाना 10 लाख टन तक पहुंच सकती है। रेलवे ने 2035 तक लगातार SAIL-BSP से आपूर्ति लेने का समझौता भी किया है।

वैश्विक स्तर पर बढ़ेगा भारत का नाम
इस परियोजना के पूरा होने पर SAIL-BSP दुनिया की उन चुनिंदा कंपनियों में शामिल हो जाएगा जो इतनी उच्च गुणवत्ता वाली पटरियां बनाती हैं। इससे न केवल अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की साख मजबूत होगी, बल्कि भविष्य में इनका निर्यात भी संभव होगा।

अधिकारियों ने बताया कि बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, ताकि इस महत्वाकांक्षी परियोजना को जल्द से जल्द धरातल पर उतारा जा सके।

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