दुर्ग, 9 अगस्त 2025:भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन इस बार 95 साल बाद बन रहे विशेष शोभन योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, श्रवण नक्षत्र और पूर्णिमा संयोग में मनाया जाएगा। मां चामुण्डा दरबार के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि 1930 के बाद ऐसा अद्भुत ज्योतिषीय संयोग फिर से बन रहा है, जो रक्षाबंधन को और भी शुभ और खास बनाएगा।
इस वर्ष रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा, जो दुर्लभ होता है। भद्रा सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी, इसलिए त्योहार भद्रा रहित संयोग में मनाना शुभ माना गया है। हालांकि, राहुकाल का साया रहेगा, जो अशुभ माना जाता है। इसलिए बहनों को राहुकाल (सुबह 9 बजकर 7 मिनट से 10 बजे तक) में राखी बांधने से बचना चाहिए।
सावन पूर्णिमा 8 अगस्त को दोपहर में लगेगी, लेकिन रक्षाबंधन 9 अगस्त को दिन में करीब 1 बजकर 34 मिनट तक मनाया जाएगा। शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 47 मिनट से दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक है, जिसमें एक घंटे 40 मिनट का राहुकाल भी शामिल है। इसलिए राखी बांधने का उचित समय राहुकाल के बाहर ही रहेगा।
पुजारी रामजीवन दुबे ने बताया कि इस दिन चंद्रमा मकर राशि में गोचर करेगा, जिससे भद्रा का वास पाताल लोक में होगा और भद्रा का मुख अधोमुखी अर्थात नीचे की ओर होगा। भद्रा का धरती लोक से दूर रहना शुभ कार्यों के लिए उत्तम काल होता है, जिससे इस बार रक्षाबंधन पर भाई-बहन का प्यार और भी सार्थक व मंगलमय होगा।
गुरु पंडित रामजीवन दुबे ने कहा, “1930 की तरह इस बार भी रक्षाबंधन शनिवार को पड़ रहा है, और भद्रा सूर्योदय से पहले समाप्त हो रही है। यह संयोग भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करने वाला है।”
इस वर्ष के इस अद्भुत ज्योतिषीय संयोग के साथ, पूरे देश में श्रद्धा, उमंग और उल्लास के साथ रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व न केवल भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है, बल्कि शुभ समय की देन भी साबित होगा।
समापन:
95 साल बाद बना यह शोभन योग रक्षाबंधन को ऐतिहासिक बना रहा है। भाई-बहन इस शुभ अवसर पर अपने प्रेम और विश्वास को नयी ऊर्जा देंगे और भद्रा रहित, राहुकाल से बचकर राखी बांधकर त्योहार का पूरा आनंद लेंगे।