मॉस्को। रूस की सबसे बड़ी ड्रोन फैक्ट्री ‘अलाबुगा’ में अब ईरानी डिजाइन वाले शाहेद-136 ड्रोन का उत्पादन पूरी तरह स्थानीय स्तर पर होने लगा है, जिससे ईरान इस परियोजना से लगभग हाशिए पर चला गया है। रूसी रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक टीवी डॉक्यूमेंट्री में फैक्ट्री के अंदर 170 से अधिक तैयार ड्रोन दिखाए गए।
फैक्ट्री के सीईओ तैमूर शागिवालिएव के अनुसार, यहां एल्युमिनियम रॉड से लेकर फाइबरग्लास फ्यूसलेज तक सभी पुर्जे रूस में ही बनाए जा रहे हैं। बढ़ी हुई उत्पादन क्षमता के चलते रूस अब इन उन्नत ड्रोन का निर्यात भी करने की स्थिति में है—संभावना है कि भविष्य में इन्हें ईरान को भी बेचा जा सके।
हालांकि, पश्चिमी खुफिया सूत्रों का दावा है कि इस विस्तार से ईरान नाराज़ है। 2023 में दोनों देशों के बीच 1.75 अरब डॉलर का समझौता हुआ था, जिसके तहत 6,000 शाहेद ड्रोन बनाने का लक्ष्य था, जिसे रूस ने तय समय से एक साल पहले ही पूरा कर लिया। अब अलाबुगा फैक्ट्री हर महीने 5,500 से ज्यादा ड्रोन तैयार कर रही है, जिनकी कीमत घटकर 70,000 डॉलर रह गई है। इन ड्रोन में बेहतर संचार प्रणाली, लंबी बैटरी लाइफ और बड़े विस्फोटक लगाए गए हैं, जिससे उनकी मारक क्षमता पहले से अधिक हो गई है।
ईरानी विशेषज्ञों का कहना है कि रूस ने जरूरत के समय ईरान से तकनीक ली, लेकिन अब उसे दरकिनार कर दिया है। जून में इज़राइल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद रूस की कमजोर प्रतिक्रिया ने भी ईरान को खफा किया। आर्थिक प्रतिबंधों के चलते रूस ईरानी कंपनियों को समय पर भुगतान भी नहीं कर पा रहा है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि रूस भविष्य में तकनीकी सहयोग और अपडेटेड ड्रोन भेजकर रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर सकता है, खासकर ऐसे समय में जब ईरान के कई सैन्य ठिकाने हाल में नष्ट हो चुके हैं।