पटना। बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर उठे विवाद के बीच चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह साफ कर दिया है कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम मतदाता सूची से बिना पूर्व नोटिस, सुनवाई का मौका और सक्षम अधिकारी के कारणयुक्त आदेश के हटाया नहीं जाएगा। आयोग ने कहा कि हर योग्य व्यक्ति का नाम अंतिम सूची में दर्ज हो, इसके लिए कड़े निर्देश जारी कर व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं।
यह मामला तब सामने आया जब एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने आरोप लगाया कि एसआईआर के दौरान बिहार में करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटा दिए गए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को सुनवाई कर आयोग को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।
चुनाव आयोग ने अपने अतिरिक्त हलफनामे में बताया कि एसआईआर का पहला चरण पूरा हो चुका है और 1 अगस्त 2025 को प्रारूप मतदाता सूची जारी कर दी गई। यह चरण बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी और फॉर्म एकत्र करने के बाद संपन्न हुआ। कुल 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से 7.24 करोड़ ने अपने नाम की पुष्टि या फॉर्म जमा किए। इस अभियान में बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, 77,895 बीएलओ, 2.45 लाख स्वयंसेवक और 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंट शामिल रहे।
आयोग ने बताया कि राजनीतिक दलों को समय-समय पर छूटे हुए मतदाताओं की सूची दी गई, ताकि समय रहते नाम जोड़े जा सकें। प्रवासी मजदूरों के लिए 246 अखबारों में हिंदी विज्ञापन जारी किए गए और नामांकन के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध कराए गए। शहरी क्षेत्रों में विशेष शिविर लगाए गए, युवाओं के लिए अग्रिम पंजीकरण की सुविधा दी गई और वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों व कमजोर वर्गों की सहायता के लिए 2.5 लाख स्वयंसेवक नियुक्त किए गए।
आयोग ने स्पष्ट किया कि किसी नाम को हटाने से पहले नोटिस देना, संबंधित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर प्रदान करना और सक्षम अधिकारी द्वारा कारणयुक्त आदेश देना अनिवार्य है। प्रारूप सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज कराने की अवधि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तय की गई है, जिसमें ऑनलाइन और प्रिंट दोनों माध्यम उपलब्ध हैं। पारदर्शिता बनाए रखने और जनता को जागरूक करने के लिए आयोग रोजाना प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहा है, ताकि किसी भी पात्र मतदाता को अंतिम सूची से वंचित न किया जाए।