नई दिल्ली। भारत में पारिवारिक संपत्ति विवादों में एक आम सवाल उठता है — अगर किसी पिता की वसीयत में बेटी का नाम नहीं है, तो क्या उसका संपत्ति पर हक भी खत्म हो जाता है? इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कोर्ट ने 9 अहम बिंदुओं के ज़रिए स्पष्ट किया है कि वसीयत में नाम न होने पर भी बेटी को अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
वसीयत (Will) क्या होती है?
वसीयत एक ऐसा दस्तावेज़ होता है जिसमें व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद अपनी संपत्ति किसे और कैसे दी जाए, इसका निर्धारण करता है। लेकिन अगर इस वसीयत में किसी वैध उत्तराधिकारी — जैसे बेटी — का नाम न हो, तो क्या कानून में उसके लिए कोई रास्ता है?
सुप्रीम कोर्ट के 9 महत्वपूर्ण बिंदु — बेटी का हक पूरी तरह खत्म नहीं
- बेटी भी है कानूनी वारिस
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 और 2005 संशोधन के अनुसार बेटियों को बेटों के बराबर संपत्ति का अधिकार है। - वसीयत में नाम न होना हक खत्म नहीं करता
अगर बेटी का नाम वसीयत में नहीं है, तब भी वह उसकी वैधता को चुनौती देकर दावा कर सकती है। - वसीयत की वैधता की जांच हो सकती है
कोर्ट देखेगा कि वसीयत दबाव, धोखा या किसी प्रभाव में तो नहीं बनाई गई। - पैतृक संपत्ति पर समान अधिकार
अगर संपत्ति पैतृक है, तो बेटी को उसका हिस्सा मिलेगा — चाहे उसका नाम वसीयत में हो या न हो। - नारी अधिकारों की अनदेखी अवैध
केवल शादीशुदा होने या पिता के साथ न रहने के आधार पर बेटी को वंचित करना अस्वीकार्य है। - बेटी न्यायालय में दावा कर सकती है
अगर उसे संपत्ति से वंचित किया गया है, तो वह दीवानी न्यायालय में केस दायर कर सकती है। - संपत्ति की प्रकृति महत्वपूर्ण है
अगर संपत्ति स्व-अर्जित है, तो वसीयत को अधिक महत्व मिलता है। पैतृक संपत्ति पर बेटियों का अधिकार अटूट है। - पक्षपात साबित होने पर बेटी को मिलेगा हक
अगर वसीयत पक्षपातपूर्ण साबित होती है, तो कोर्ट उसे रद्द कर बेटी को उसका हिस्सा दे सकता है। - बेटी का अधिकार सामाजिक न्याय से जुड़ा है
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बेटी को संपत्ति में बराबरी का हक देना महिला सशक्तिकरण का अहम हिस्सा है। - अगर वसीयत में नाम न हो तो क्या करें?
यदि आप एक बेटी हैं और वसीयत में आपका नाम नहीं है, लेकिन आपको लगता है कि संपत्ति में आपका अधिकार बनता है, तो आप ये कदम उठा सकती हैं:
- किसी अनुभवी वकील से सलाह लें
- वसीयत की कॉपी प्राप्त करें
- यह जांचें कि संपत्ति स्व-अर्जित है या पैतृक
- दीवानी न्यायालय में दावा दायर करें
- गवाहों और दस्तावेज़ों के आधार पर अपने अधिकार को सिद्ध करें
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि बेटियां संपत्ति की वैध उत्तराधिकारी हैं। सिर्फ वसीयत में नाम न होना ही अधिकार खत्म नहीं करता — कानून उनके साथ है, बशर्ते वे हिम्मत और जानकारी के साथ अपने हक के लिए आगे आएं।