कच्चे तेल की गिरती कीमतों से तेल कंपनियों को भारी मुनाफा, ग्राहकों को नहीं मिला फायदा

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार नरमी का सीधा फायदा देश की सरकारी तेल कंपनियों को मिल रहा है। मार्च से कच्चा तेल 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बना हुआ है, जिससे इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) पेट्रोल और डीजल पर क्रमशः 11.20 रुपये और 8.10 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा कमा रही हैं। हालांकि, इस लाभ का फायदा अभी तक उपभोक्ताओं को नहीं दिया गया है।

ब्रोकरेज हाउसों का कहना है कि क्रूड के सस्ता होने से कंपनियों के मार्जिन में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। जेफरीज के इक्विटी विश्लेषक भास्कर चक्रवर्ती ने बताया कि डीजल और पेट्रोल पर यह विपणन मार्जिन तय मानक स्तर से कहीं ज्यादा है और चालू वित्त वर्ष में इन कंपनियों की आय को मजबूती देगा।

अप्रैल-जून तिमाही में बंपर कमाई

वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में तीनों सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की बिक्री से कुल 16,184 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया। यह सालाना आधार पर ढाई गुना ज्यादा है।

  • बीपीसीएल: 6,124 करोड़ रुपये
  • आईओसी: 5,689 करोड़ रुपये
  • एचपीसीएल: 4,371 करोड़ रुपये

बीपीसीएल ने प्रति बैरल क्रूड को पेट्रोल-डीजल में बदलकर 4.88 डॉलर, आईओसी ने 2.15 डॉलर और एचपीसीएल ने 3.08 डॉलर तक कमाई की।

सस्ता क्रूड और सब्सिडी का असर

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 21% तक सस्ता हुआ है। पेट्रोल-डीजल की अंतरराष्ट्रीय दरें 16-18% घटने के बावजूद देश में खुदरा कीमतें स्थिर रखी गई हैं। एलपीजी पर भारी सब्सिडी देने के बावजूद कंपनियों ने मुनाफा कमाया। सरकार ने कंपनियों को रसोई गैस पर घाटे की भरपाई के लिए 30,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी दी है।

कर वृद्धि का समायोजन

इस साल अप्रैल में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाया था। लेकिन इसका असर उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा, क्योंकि इसे अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में गिरावट के साथ समायोजित कर लिया गया।

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