कोयला घोटाला सुनवाई: दिल्ली, बेंगलुरु और कानपुर से पहुंचे IAS अफसर, कोर्ट में हुई पेशी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 570 करोड़ रुपये के कोयला लेवी घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से सशर्त ज़मानत मिलने के बाद पहली बार निलंबित IAS रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया सहित अन्य आरोपी बुधवार को ACB-EOW की विशेष अदालत में पेश हुए।

कोर्ट में उपस्थिति के दौरान तीनों अफसरों ने बताया कि वे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ से बाहर रह रहे हैं। रानू साहू दिल्ली में, समीर विश्नोई कानपुर में और सौम्या चौरसिया बेंगलुरु में रह रही हैं। सभी ने सुनवाई में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद आदेश पत्रक पर हस्ताक्षर भी किए।

विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई की तारीख 23 जुलाई 2025 निर्धारित की है। इस बीच आरोपी सूर्यकांत तिवारी कोर्ट में विशेष कारणों से उपस्थित नहीं हो सके, जिन्हें अभी सुप्रीम कोर्ट से जमानत नहीं मिली है।

गौरतलब है कि इस घोटाले के अन्य मामलों में आरोपियों की नियमित उपस्थिति आवश्यक है। सभी आरोपियों के पासपोर्ट कोर्ट में जमा हैं और उन्हें छत्तीसगढ़ में रहने की अनुमति नहीं है। जांच एजेंसियों के समक्ष आवश्यकतानुसार उपस्थित रहना अनिवार्य है।

क्या है कोयला लेवी घोटाला?

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में सामने आया कि जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में कोयले के हर टन पर ₹25 की अवैध वसूली की जा रही थी। इसके लिए खनिज विभाग की ओर से एक आदेश 15 जुलाई 2020 को जारी किया गया, जिस पर तत्कालीन संचालक IAS समीर विश्नोई के हस्ताक्षर थे।

इस पूरी वसूली को कथित रूप से कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी द्वारा संचालित किया गया, जिसे मामले का मास्टरमाइंड माना गया है। व्यापारी यदि लेवी देता था, तभी उसे खनिज विभाग से परमिट जारी होते थे। इस तरह दो वर्षों में 570 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई।

कैसे खर्च हुई अवैध कमाई?

जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस अवैध धन का उपयोग सरकारी अधिकारियों और नेताओं को रिश्वत देने, चुनाव प्रचार और संपत्तियों की खरीद में किया गया। आरोपियों द्वारा इस धन से चल-अचल संपत्तियां खरीदने की बात भी सामने आई है।

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