सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना मुआवज़े से जुड़े एक अहम मामले में स्पष्ट किया कि किसी दावेदार द्वारा दुर्घटना से पहले दाखिल किए गए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) को मनगढ़ंत मानकर खारिज नहीं किया जा सकता। यह फैसला अनूप माहेश्वरी द्वारा दायर अपील पर आया, जिनकी 9 अप्रैल 2007 को हुई सड़क दुर्घटना में एक पैर कट गया था। ट्रिब्यूनल ने पहले उनके ITR को “आय बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का बहाना” मानते हुए खारिज कर दिया था और 13.23 लाख रुपये मुआवजा दिया था।
हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले को आंशिक रूप से बदलते हुए कार्यात्मक विकलांगता को 50% और मासिक आय 8,000 रुपये मानते हुए कुल 23.09 लाख रुपये का मुआवजा तय किया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस निर्णय को अधिकांशतः बरकरार रखते हुए ITR को वास्तविक माना और कुल मुआवजे की राशि 48.44 लाख रुपये कर दी।
कोर्ट ने विशेष रूप से कार्यात्मक और चिकित्सीय विकलांगता के बीच अंतर पर जोर दिया और भविष्य में कृत्रिम अंग, चिकित्सा खर्चों और अन्य आवश्यकताओं के लिए भी राशि मंजूर की। आय की हानि, चिकित्सा व्यय, दर्द-पीड़ा और कृत्रिम अंग की लागत को मिलाकर कुल मुआवजा 48,44,790 रुपये निर्धारित किया गया। कोर्ट ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह पहले से दिए गए भुगतान को घटाकर, आवेदन की तारीख से 6% वार्षिक ब्याज सहित तीन महीने के भीतर शेष राशि का भुगतान करे।
यह फैसला सड़क दुर्घटना मुआवज़े के मामलों में आय और विकलांगता के आकलन के लिए महत्वपूर्ण मिसाल बन गया है।