संयुक्त राष्ट्र (न्यूयॉर्क) : संयुक्त राष्ट्र में हुए एक अहम प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान भारत ने अपनी विदेश नीति से सबको चौंका दिया। यह प्रस्ताव फिलिस्तीन से जुड़ा था, जिसमें राष्ट्रपति महमूद अब्बास को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को संबोधित करने की अनुमति देने की बात थी।जब इस प्रस्ताव पर मतदान हुआ तो भारत ने इसके पक्ष में वोट डाला। खास बात यह रही कि जहां अमेरिका और इजरायल इस प्रस्ताव के खिलाफ खड़े थे, वहीं भारत ने फिलिस्तीन का समर्थन कर सभी को हैरान कर दिया।
भारत को आमतौर पर इजरायल का करीबी माना जाता है, ऐसे में इस फैसले ने कूटनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है।अमेरिका ने फिलिस्तीनी नेताओं को वीजा देने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण वे न्यूयॉर्क में हो रहे संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में खुद शामिल नहीं हो सकते थे। इसके बाद महासभा में “फिलिस्तीन राष्ट्र की भागीदारी” शीर्षक से प्रस्ताव लाया गया। इस पर 193 सदस्यीय महासभा में से 145 देशों ने समर्थन किया, 5 ने विरोध किया और 6 ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
भारत भी उन 145 देशों में शामिल रहा, जिन्होंने फिलिस्तीन के पक्ष में मतदान किया।विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम उसकी संतुलित विदेश नीति की झलक है। एक तरफ भारत इजरायल के साथ रक्षा और तकनीकी साझेदारी को गहरा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर फिलिस्तीन के हक की भी वकालत कर रहा है।
इस घटनाक्रम ने यह साबित किया है कि भारत वैश्विक मुद्दों पर किसी एक पक्ष का समर्थन करने के बजाय संतुलन साधते हुए स्वतंत्र और भरोसेमंद आवाज़ बनकर उभर रहा है।गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र 23 सितंबर से शुरू हो रहा है|
, जिसमें फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास 25 सितंबर को वर्चुअली विश्व नेताओं को संबोधित करेंगे। भारत का यह रुख एक बार फिर उसकी कूटनीतिक परिपक्वता और अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ती साख को दर्शाता है।