दुर्ग.असत्य पर सत्य की जीत का प्रतिक दशहरा की तैयारी चल रही है.शहर के कलाकार रावण रूपी पुतले के निर्माण को अंतिम रूप दे रहे हैं.दुर्ग शहर से लगे ग्राम कुथरेल में दुर्ग, भिलाई,रायपुर,राजनांदगांव सहित आसपास के शहरों के लिए पुतले तैयार हो रहे हैं।इस गाँव कुथरेल की विशेषता ये है कि,यह रावण वाले गाँव के रूप में प्रसिद्द है.यहाँ आधे से ज्यादा घरों में पुतले बनाने वाले कलाकार रहते है।

इसका पूरा श्रेय जाता है.जितेन्द्र साहू को जो पेशे से डॉक्टर है अपने क्लीनिक से समय निकालकर दशहरा के लिए पुतले बनाते हैं.बातचीत में उन्होंने बताया कि,ग्राम कुथरेल में सबसे पहले उनके दादा जी ने पुतले बनाने की शुरुआत की तब से लेकर आज तक पीढ़ी दर पीढ़ी रावण रूपी पुतले का निर्माण किया जा रहा है.वे तीसरी पीढ़ी है उनके पहले पिता जी स्वर्गीय लोहन सिंह साहू रावण पुतले का निर्माण करते थे.उन्ही से पुतले बनाने की प्रेरणा मिली.आज वो तीसरी पीढ़ी है और चौथी पीढ़ी भी तैयार हो रही है।
बातचीत में ही पता चला कि,उनके साथ उनके पिता के साथ में काम करने वाले एक बुजुर्ग कलाकार कृष्णा साहू आज भी उसी जोश से रावण रूपी पुतले का निर्माण कर रहे है.उनसे बात करने पर उन्होंने बताया कि 15 साल की उम्र से वह हर साल जितेन्द्र साहू के पिता साथ काम कर रहे है.और अब उनके जाने के बाद बेटे जितेन्द्र साहू के साथ है.वह अपने अनुभवों से चौथी पीढ़ी को तैयार भी कर रहे है।उन्होंने बातचीत में बताया कि सबसे पहले भिलाई के वैशाली नगर के लिए रावण रूपी पुतला बनाया गया था.उसके बाद काम बढ़ता गया और अब आसपास के शहरों के लिए पुतले बनाए जा रहे है।

आपको बता दे जितेन्द्र साहू जितने अच्छे डॉक्टर है उतने ही बेहतर कलाकार है.उन्होंने बातचीत में बताया कि,रावण पुतला निर्माण उनका व्यवसाय नहीं है वे सिर्फ पूर्वजों की कला को जीवित रखने के लिए दशहरा पर पुतला बनाते हैं.और उनकी खास बात ये है कि,दोनों ही पेशे में बराबर समय देते है.और इसके अलावा अपने मरीजों को भी खास हिदायत देते है कि अपने भीतर की बुराईयों को दूर करें और स्वस्थ्य जीवन शैली को अपनाए।
आपको बता दें,ग्राम कुथरेल में जितना बेहतर पुतले बनाए जाते हैं.उतना शानदार यहाँ का दशहरा मनाया जाता है.उड़ीसा कटक के आतिशबाजों के द्वारा आतिशबाजी की जाती है और विशाल रावण के पुतले का दहन किया जाता है।