नेशनल डेस्क। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भारत और दुनिया को बड़ी वैज्ञानिक सफलता मिली है। इसरो (ISRO) और नासा (NASA) के संयुक्त मिशन ‘निसार’ (NISAR) की मदद से अब भूकंप, भूस्खलन और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी आपदाओं की सटीक और समय पर चेतावनी मिल सकेगी। वैज्ञानिकों का दावा है कि निसार से दो घंटे से लेकर 24 घंटे पहले तक अलर्ट जारी किया जा सकेगा, जिससे आपदा प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
30 जुलाई को लॉन्च हुआ था निसार
करीब 13 हजार करोड़ रुपये की लागत वाले इस मिशन को 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। इसमें एक हजार करोड़ रुपये इसरो और शेष राशि नासा ने खर्च की। निसार उपग्रह 750 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित हो चुका है।
निसार के प्रमुख फायदे
- भूकंप व भूस्खलन की चेतावनी: आपदा आने से घंटों पहले अलर्ट मिलेगा।
- समुद्री निगरानी: हिमखंडों के टूटने और समुद्री सतह के उतार-चढ़ाव पर नजर रखेगा।
- ग्लोबल डेटा: हर 12 दिन में पृथ्वी की सतह का स्कैन कर उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा देगा, जिसे अन्य देशों के साथ भी साझा किया जाएगा।
स्पेस सेक्टर में निजी क्षेत्र की भागीदारी
भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 के बाद 300 से अधिक कंपनियां और स्टार्टअप स्पेस सेक्टर में सक्रिय हैं। सेना के लिए इसरो स्पेस बेस्ड सर्विलांस-3 (SBS-3) तैयार कर रहा है, जिस पर अगले चार वर्षों में 26 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
विश्व स्तर पर ऑपरेशन ‘बर्न आउट’
अंतरिक्ष में बेकार हो चुके सैटेलाइट्स को नष्ट करने की तैयारी चल रही है। जापान इसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
छात्रों के लिए जागरूकता अभियान
इसरो के विक्रम साराभाई स्पेस एग्जिबिशन सेंटर में छात्रों को सैटेलाइट और लॉन्च व्हीकल की जानकारी दी जाती है, जहां प्रवेश निशुल्क है।