
रायपुर। राजधानी के सबसे पॉश इलाके सिविल लाइन्स में स्थित करीब 300 करोड़ रुपये की बेशकीमती सरकारी जमीन पर सोमवार को जिला प्रशासन ने कब्जा जमा लिया। लंबे समय से विवादित यह जमीन यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन (CNI) के कब्जे में थी, जिसकी लीज वर्ष 2022 में समाप्त हो चुकी थी। बावजूद इसके ट्रस्ट न केवल जमीन पर कब्जा बनाए हुए था, बल्कि उसका व्यावसायिक उपयोग भी कर रहा था।
इस जमीन में प्रसिद्ध गॉस मेमोरियल खेल मैदान, बाबर बंगला और कई अन्य क्वार्टर शामिल हैं, जो मिलाकर लगभग 6 एकड़ क्षेत्रफल में फैले हैं। राजस्व न्यायालय के हालिया फैसले के बाद, प्रशासन ने सोमवार को पूरे इलाके को अपने नियंत्रण में ले लिया।
लीज खत्म, फिर भी कब्जा बना रहा
1922 में CNI ट्रस्ट को लीज पर दी गई इस जमीन की अवधि 2022 में ही समाप्त हो चुकी थी। इसके बावजूद ट्रस्ट ने जमीन खाली नहीं की और व्यावसायिक गतिविधियाँ जारी रखीं। हिन्दू स्वाभिमान संगठन ने इस अवैध कब्जे और व्यावसायिक उपयोग के खिलाफ नजूल कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व कलेक्टर और वर्तमान मंत्री ओपी चौधरी ने अपने कार्यकाल के दौरान इस कब्जे को अवैध मानते हुए जमीन को शासन के अधीन लेने का आदेश दिया था, लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। संगठन की कानूनी लड़ाई के बाद, राजस्व न्यायालय ने ट्रस्ट को बेदखल कर प्रशासन को कब्जा सौंपने का निर्देश दिया।
आदेश मिलते ही जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम एक्शन मोड में आ गई। जोन 4 के कमिश्नर अरुण ध्रुव के नेतृत्व में टीम सोमवार सुबह 9 बजे मौके पर पहुंची और घेराबंदी शुरू कर दी। चारों ओर सीमेंट के पोल लगाकर बाउंड्री बनाई गई और जमीन को सरकारी संपत्ति घोषित करते हुए नोटिस भी चस्पा कर दिया गया। कार्रवाई शाम 4 बजे तक चली।
आगे क्या?
अब जब जमीन पर प्रशासन का कब्जा हो चुका है, हिन्दू स्वाभिमान संगठन ने मांग की है कि इस क्षेत्र को ऑक्सीजोन, खेल मैदान, ओपन एयर थिएटर और फूड कोर्ट जैसी सुविधाओं से लैस किया जाए। वहीं, विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने मांग की है कि जमीन पर मौजूद सभी करीब 30 किरायेदारों को तत्काल हटाया जाए। संगठनों का आरोप है कि नगर निगम ने केवल 6 लोगों को नोटिस देकर खानापूर्ति की है, जबकि पूरी 6 एकड़ जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त किया जाना चाहिए।
राजधानी के दिल में चली सबसे बड़ी जमीन कार्रवाई
यह कार्रवाई इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि सिविल लाइन्स जैसे वीआईपी इलाके में वर्षों से एक ट्रस्ट का कब्जा था, जो अब शासन के अधीन आ गया है। प्रशासन की इस सख्ती को लेकर पूरे शहर में चर्चा है कि क्या यह कार्रवाई भविष्य में अन्य अवैध कब्जों पर भी लागू होगी?