
नई दिल्ली, पाकिस्तान और बांग्लादेश ने हाल ही में एक अहम समझौता किया है, जिसके तहत दोनों देशों के राजनयिक और सरकारी पासपोर्ट धारकों को वीज़ा के बिना एक-दूसरे के देश में प्रवेश की इजाज़त दी गई है। इस फैसले को भले ही दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में उठाया गया कदम बताया जा रहा है, लेकिन भारत की खुफिया एजेंसियों के लिए यह एक गंभीर सुरक्षा चुनौती बनकर सामने आया है।
ISI की साज़िश का रास्ता खुला?
भारत की खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI इस वीज़ा-मुक्त सुविधा का दुरुपयोग कर सकती है। बांग्लादेश के जरिए भारत में जासूसी, आतंकवाद और कट्टरपंथी गतिविधियों को अंजाम देना अब आसान हो सकता है, खासकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में। असम, त्रिपुरा और मिज़ोरम जैसे सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया गया है।
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव
यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है जब बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार की जगह एक अंतरिम प्रशासन का गठन हुआ है, जिसे पाकिस्तान के नज़दीक माना जा रहा है। ढाका और इस्लामाबाद के रिश्तों में हाल के दिनों में तेजी से सुधार देखा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गठजोड़ क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
भारत की रणनीति क्या होगी?
भारत सरकार ने इस पूरे घटनाक्रम पर पैनी नज़र रखी है। गृह मंत्रालय और MEA (विदेश मंत्रालय) की तरफ से जल्द ही आधिकारिक प्रतिक्रिया आने की संभावना है। सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है, और सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। कूटनीतिक स्तर पर भारत बांग्लादेश के साथ अपनी चिंताएं साझा करने की तैयारी कर रहा है।
क्या यह चीन की बैकडोर साज़िश है?
कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश का यह समीकरण चीन की प्रेरणा से तैयार किया गया हो सकता है। चीन का OBOR (वन बेल्ट वन रोड) प्रोजेक्ट और क्षेत्रीय सैन्य गठजोड़ दक्षिण एशिया में भारत को घेरने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
ISI की जासूसी गतिविधियाँ और हालिया गिरफ्तारियाँ
पिछले एक साल में भारत में ISI नेटवर्क से जुड़े करीब 28 लोगों को पकड़ा गया है। इनमें यूट्यूबर, छात्र, सरकारी कर्मचारी और सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग शामिल थे।
- मई 2025: हरियाणा की व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार।
- मार्च 2025: दिल्ली में नेपाली मूल का ISI एजेंट पकड़ा गया।
- 2023: DRDO वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर व्हाट्सऐप पर महिला एजेंट के जाल में फंसकर गोपनीय जानकारी साझा करते पकड़े गए।
- 2018: ब्रह्मोस प्रोजेक्ट में कार्यरत निशांत अग्रवाल को ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में 14 साल की सजा।
इतिहास में मधुरी गुप्ता (2010) और सांबा स्पाई कांड (1978) जैसे मामले ISI के भारत में नेटवर्क की गंभीरता को उजागर करते हैं।
आतंकी घटनाओं में ISI की भूमिका
1993 मुंबई बम धमाके, 2001 संसद हमला और 2008 के 26/11 आतंकी हमलों में ISI की सीधी भूमिका रही है।
भारतीय नागरिकों को सावधान रहने की जरूरत
भारत की सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ आम नागरिकों को भी बेहद सतर्क रहने की सलाह दी गई है:
- अज्ञात नंबरों से आए कॉल्स/मैसेज का जवाब न दें।
- सोशल मीडिया पर सीमित जानकारी साझा करें।
- ‘हनी ट्रैप’ और फर्जी ऑफर्स से सतर्क रहें।
- संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट स्थानीय पुलिस या खुफिया एजेंसियों को दें।
- सार्वजनिक वाई-फाई का सुरक्षित उपयोग करें।
- किसी भी संदिग्ध ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी प्रमाणिकता जांचें।