गांधीनगर। गुजरात विधानसभा ने मंगलवार को फैक्ट्रियों (गुजरात संशोधन) विधेयक 2025 पारित कर दिया। इस नए कानून के तहत महिलाएं अब अपनी सहमति से नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी। हालांकि, इसके लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी 16 विशेष प्रावधानों को अनिवार्य किया गया है।
क्या कहा श्रम मंत्री ने?
- विधानसभा में विधेयक पेश करते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने कहा कि यह कदम महिलाओं को समानता, पेशे की स्वतंत्रता और आर्थिक अधिकार प्रदान करेगा। उन्होंने कहा—
- “सहमति आधारित नाइट ड्यूटी से महिलाएं अपने परिवार की आय में योगदान कर सकेंगी और दिन के समय परिवार को समय दे पाएंगी।”
- “यह सुधार श्रमिक कल्याण और औद्योगिक विकास के बीच संतुलन साधता है।”
प्रावधानों की मुख्य बातें
- महिलाएं केवल अपनी लिखित सहमति से ही नाइट शिफ्ट में काम कर पाएंगी।
- दैनिक कार्य समय अधिकतम 12 घंटे, लेकिन साप्ताहिक सीमा 48 घंटे रहेगी।
- लगातार 6 घंटे काम के बाद आधा घंटे का विश्राम अनिवार्य।
- लगातार चार 12 घंटे की शिफ्ट पूरी करने पर दो दिन का सवैतनिक अवकाश।
- तीन महीने में अधिकतम 125 घंटे ओवरटाइम संभव, लेकिन पूर्व स्वीकृति जरूरी।
- महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए 16 विशेष प्रावधान लागू होंगे।
- राज्य सरकार जरूरत के अनुसार इस अनुमति को रद्द भी कर सकेगी।
उद्योग जगत को मिलेगा लाभ
मंत्री ने कहा कि यह सुधार सेमीकंडक्टर और माइक्रोचिप जैसे उद्योगों के लिए उपयोगी साबित होंगे, जहां 24 घंटे उत्पादन की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि नए प्रावधान रोजगार सृजन, निवेश आकर्षण और औद्योगिक माहौल बेहतर बनाने में सहायक होंगे।
संवैधानिक आधार
यह विधेयक संविधान में समानता के सिद्धांत और गुजरात हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुरूप लाया गया है। मंत्री ने कहा कि यह कानून महिलाओं को सुरक्षित वातावरण में अपनी इच्छा से नाइट शिफ्ट में काम करने का कानूनी अधिकार देता है।
गौरतलब है कि यह विधेयक फैक्ट्रियों अधिनियम, 1948 की छह धाराओं में संशोधन करता है, जो कार्य घंटे, ओवरटाइम, विश्राम और महिलाओं के रोजगार से संबंधित हैं।