चुनाव आयोग सख्त – मतदाता सूची पुनरीक्षण की डेडलाइन में बदलाव नहीं

नई दिल्ली/भोपाल। चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की निर्धारित समय सीमा में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाएगा। बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को 25 नवंबर तक प्राप्त गणना प्रपत्रों के डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया हर हाल में पूर्ण करनी होगी। आयोग के इस रुख के बाद बीएलओ पर काम का दबाव एक बार फिर बढ़ गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, एसआईआर प्रक्रिया के दौरान मतदाता सूची का वर्ष 2003 की सूची से मिलान सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। बीएलओ का कहना है कि गणना प्रपत्र का डिजिटाइजेशन समय-साध्य कार्य है और कम समय में इसे पूरा करना कठिन हो रहा है। कई जिलों से बीएलओ के अस्वस्थ होने और कार्यभार को लेकर असंतोष की सूचना भी सामने आई है। हालांकि जिला चुनाव अधिकारियों द्वारा स्थिति से अवगत कराने के बावजूद आयोग ने समय सीमा बढ़ाने की मांग को अस्वीकार कर दिया है।

एसआईआर के दौरान मतदाताओं को तीन भाग वाले गणना प्रपत्र उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन अधिकांश मतदाता केवल पहला भाग ही भर पा रहे हैं। दूसरे भाग में वर्ष 2003 की मतदाता जानकारी और तीसरे भाग में जिनका नाम 2003 की सूची में नहीं था, उनकी जानकारी भरने का प्रावधान है। वर्ष 2003 की मतदाता सूची उपलब्ध न होने से मतदाता उलझन में हैं, वहीं विवाहित महिलाओं को पता और पहचान मिलान में अतिरिक्त कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

उधर, बीएलओ एप में बार-बार तकनीकी संशोधन और नए वर्जन अपडेट होने के कारण कार्य प्रभावित हो रहा है। एप की धीमी गति, वेरिफिकेशन में समय, और अधिकारियों द्वारा लगातार रिपोर्ट मांगे जाने से बीएलओ की परेशानी और बढ़ गई है। मतदाताओं में यह आशंका भी व्यक्त की जा रही है कि अधूरे प्रपत्र के कारण उनका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है।

आयोग के अनुसार, निर्धारित समय में डिजिटाइजेशन पूर्ण न होने पर आगे की निर्वाचन प्रक्रिया प्रभावित होने की आशंका है, इसलिए 25 नवंबर की समय सीमा में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

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