दिल्ली/बेंगलुरु। पूरे देश में ईवीएम और कथित ‘वोट चोरी’ को लेकर चल रही बहस के बीच कर्नाटक सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने आगामी पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय चुनाव ईवीएम मशीन की बजाय बैलेट पेपर से कराने का निर्णय लिया है। गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक के बाद कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने इस फैसले की जानकारी दी।
पाटिल ने कहा कि यह निर्णय जनता के बीच ईवीएम को लेकर घटते विश्वास और विश्वसनीयता को देखते हुए लिया गया है। उन्होंने बताया कि सरकार का मानना है कि बैलेट पेपर से चुनाव कराना लोकतांत्रिक पारदर्शिता और मतदाताओं के भरोसे के लिए आवश्यक कदम है।
उन्होंने आगे कहा कि कैबिनेट ने राज्य चुनाव आयोग से मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया को आसान बनाने और मौजूदा नियमों में आवश्यक बदलाव करने की भी सिफारिश की है। अब स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अलग से मतदाता सूची तैयार की जाएगी, ताकि विधानसभा चुनावों की सूची पर निर्भरता खत्म हो।
मंत्री पाटिल ने स्वीकार किया कि बीते कुछ महीनों में कर्नाटक समेत पूरे देश में मतदाता सूची में बेमेल, नाम जोड़ने और हटाने जैसी गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई हैं, जिससे वोट चोरी की आशंकाएं बढ़ी हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि कोई भी मतदाता मतदान के अधिकार से वंचित न रहे।
कर्नाटक सरकार का यह फैसला ऐसे समय आया है जब विपक्ष लगातार देशभर में ईवीएम पर सवाल उठा रहा है और बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग कर रहा है। हालांकि, चुनाव आयोग बार-बार स्पष्ट कर चुका है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित हैं और इन्हें हैक करना संभव नहीं है।
अब सभी की निगाहें कर्नाटक पर टिकी हैं, जहां बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने का यह फैसला राष्ट्रीय बहस को नई दिशा दे सकता है।