कार्तिक पूर्णिमा को जन्मे गुरु नानक देव जी, सिख धर्म के प्रथम गुरु और मानवता के मार्गदर्शक, न केवल एक आध्यात्मिक गुरु थे, बल्कि समाज सुधारक, दार्शनिक, कवि और विश्वबंधु भी थे। उनका जन्म स्थान आज के पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब है और समाधि स्थल करतारपुर साहिब में स्थित है।
गुरु नानक के जीवन में बचपन से ही अद्वितीय प्रतिभा और आध्यात्मिक झुकाव दिखाई देने लगा था। केवल 7–8 वर्ष की उम्र में उन्होंने अध्यापक के कठिन प्रश्नों के उत्तर पूछ कर उसे निरुत्तर कर दिया।
कार्तिक पूर्णिमा को जन्मे गुरु नानक देव जी, सिख धर्म के प्रथम गुरु और मानवता के मार्गदर्शक, न केवल एक आध्यात्मिक गुरु थे, बल्कि समाज सुधारक, दार्शनिक, कवि और विश्वबंधु भी थे। उनका जन्म स्थान आज के पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब है और समाधि स्थल करतारपुर साहिब में स्थित है।
गुरु नानक के जीवन में बचपन से ही अद्वितीय प्रतिभा और आध्यात्मिक झुकाव दिखाई देने लगा था। केवल 7–8 वर्ष की उम्र में उन्होंने अध्यापक के कठिन प्रश्नों के उत्तर पूछ कर उसे निरुत्तर कर दिया।
परिवार और प्रारंभिक जीवन
जन्म: कार्तिक पूर्णिमा, 1469 | स्थान: तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान)
माता-पिता: मेहता कालूचन्द (खत्री ब्राह्मण) और त्रिप्ता देवी
बहन: नानकी, जिन्होंने गुरु जी को आध्यात्मिक दिशा में गहराई से प्रभावित किया।
विवाह: 24 सितंबर 1487 को सुलक्खनी देवी से | पुत्र: श्रीचंद (उदासी सम्प्रदाय के प्रवर्तक), लखमीदास
चार प्रमुख आध्यात्मिक यात्राएं – “उदासियाँ”
गुरु नानक जी ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर चार विशाल यात्राएं कीं, जिन्हें उदासी कहा जाता है। उन्होंने इन यात्राओं में सत्य, करुणा और एकेश्वरवाद का संदेश फैलाया।
1. पहली उदासी (1500-1506) – पूर्व भारत की यात्रा
स्थान: हरिद्वार, बनारस, पटना, असम, पुरी, ढाका
उद्देश्य: वैदिक पाखंड और कर्मकांड पर चोट, श्रद्धा में विवेक की आवश्यकता
2. दूसरी उदासी (1506–1513) – दक्षिण भारत
स्थान: अजमेर, द्वारका, सोमनाथ, नांदेड़, रामेश्वरम, श्रीलंका
उद्देश्य: दक्षिण भारत की धार्मिक विविधता के बीच एकता और शांति का संदेश
3.तीसरी उदासी (1514–1518) – हिमालय, तिब्बत और मानसरोवर
स्थान: कश्मीर, नेपाल, ताशकंद, कैलाश मानसरोवर
उद्देश्य: तप, योग और एकात्म दर्शन की अनुभूति
4.चौथी उदासी (1519–1521) – मध्य एशिया और अरब
स्थान: काबुल, बगदाद, मक्का, मदीना
उद्देश्य: इस्लामिक विद्वानों से संवाद, धार्मिक सहिष्णुता और भाईचारे का प्रचार
गुरु नानक के विचार और शिक्षाएं
“एक ओंकार” – ईश्वर एक है
नाम जपो – ईश्वर का स्मरण करो
किरत करो – ईमानदारी से मेहनत करो
वंड छको – जो कुछ भी है, उसे बांटकर खाओ
जात-पात, धर्म और लिंग के भेदभाव को सिरे से नकारा
गुरु नानक जयंती का उत्सव
अखंड पाठ (48 घंटे की गुरुबाणी पाठ) गुरुद्वारों में होता है
नगर कीर्तन – पंज प्यारे की अगुवाई में भव्य शोभायात्रा
कीर्तन, कथा, लंगर और कड़ाह प्रसाद – सेवा और संगत का भाव
ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब में विशेष आयोजन
भारत, पाकिस्तान के साथ यूएसए, यूके, कनाडा जैसे देशों में भी श्रद्धा से उत्सव मनाया जाता है
गुरु नानक: युगों के लिए प्रेरणा
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं केवल एक धर्म तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि पूरे विश्व में मानवता, करुणा और समानता का संदेश बनकर फैलीं। उनकी “उदासियाँ” न केवल भौगोलिक यात्राएं थीं, बल्कि वे आध्यात्मिक जागरण और सामाजिक परिवर्तन की मशाल थीं।
गुरु नानक देव जी को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके विचारों को अपने जीवन में उतारें और उनके बताए मार्ग पर चलकर समाज को बेहतर बनाएं।