Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक देव जी का जीवन केवल इतिहास की एक गाथा नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण और मानवता की दिशा दिखाने वाला उज्ज्वल दीपक है। उनके उपदेशों में एक ऐसा सार्वभौमिक दृष्टिकोण समाहित है, जो व्यक्ति को न केवल आत्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है, बल्कि समाज को भी नई मानवीय चेतना प्रदान करता है। आज के युग में, जब मनुष्य सबसे अधिक मानसिक और आत्मिक अशांति से जूझ रहा है, गुरु नानक साहिब का जीवन मार्गदर्शन का सर्वोत्तम उदाहरण बन जाता है।

गुरु नानक साहिब ने सिखाया कि सच्चा सुख बाहरी वैभव, पद या वस्तुओं में नहीं, बल्कि भीतर की शांति और परमात्मा से जुड़ाव में निहित है। उनका संदेश स्पष्ट था — जीवन का उद्देश्य ईश्वर से एकत्व प्राप्त करना है, न कि सांसारिक मोह में उलझ जाना।
कहते हैं, उनके जन्म के क्षण से ही वातावरण में अद्भुत शांति और आनंद का अनुभव हुआ था। यह एक संकेत था कि यह आत्मा मानवता को एक नई दिशा देने आई है। उनकी दृष्टि में वह अद्भुत करुणा और प्रेम झलकता था, जो हर वर्ग और हर धर्म के व्यक्ति को समान रूप से जोड़ता था।
गुरु नानक साहिब ने जीवनभर भेदभाव, अंधविश्वास और कर्मकांड का विरोध किया। उन्होंने यह स्थापित किया कि सच्चा धर्म वही है, जो मनुष्य को परमात्मा और सच्चे कर्म के मार्ग से जोड़े। उन्होंने अपने जीवन में इसे स्वयं जीकर दिखाया — जैसे कि भाई मरदाना को अपना साथी बनाना, जो मुस्लिम थे। यह इस बात का प्रतीक था कि उनके लिए धर्म नहीं, बल्कि मानवता ही सर्वोच्च थी।

गुरु नानक साहिब का संदेश “साच वखर के हम वणजारे” उनके मिशन को प्रकट करता है — सत्य का प्रचार करना और उसे अपने जीवन में उतारना। उनका विश्वास था कि परमात्मा निराकार है, एक है, और वही सच्चा कर्ता है। उन्होंने सत्य को सर्वोपरि माना और कहा —
“आदि सचु, जुगादि सचु, है भी सचु, नानक होसी भी सचु।”
अर्थात सत्य सदा से है, सदा रहेगा, और यही जीवन का आधार है।
गुरु नानक साहिब ने कर्म को धर्म से ऊपर रखा। उनका कहना था कि मनुष्य का मूल्य उसके कर्मों से तय होता है, न कि जाति, धर्म या वंश से। उनके वचनों में यह विचार बार-बार झलकता है —
“जो तुझु भावै साई भली कार।”
अर्थात वही सही है जो ईश्वर को प्रिय है — यही सच्चे धर्म का सार है।
उन्होंने समाज में समानता, प्रेम, दया और सेवा की भावना को प्रोत्साहित किया। उनके उपदेशों ने न केवल भारतीय समाज में गहरा परिवर्तन लाया, बल्कि समस्त मानवता को जोड़ने का एक अद्वितीय मार्ग भी दिया।
आज जब संसार में भेदभाव, ईर्ष्या और हिंसा का वातावरण बढ़ रहा है, गुरु नानक देव जी का प्रेम और सत्य पर आधारित दर्शन पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। उनका “प्रेम-पंथ” — अर्थात प्रेम का मार्ग — विश्व को फिर से एकता, करुणा और शांति की ओर अग्रसर कर सकता है।
गुरु नानक साहिब का जीवन इस सत्य का प्रमाण है कि आत्मिक विकास ही सच्चे जीवन का सार है, और वही मानवता का सर्वोच्च रूप है।