चेन पुलिंग मामले में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला,15 साल पुराने केस में टीटीई को राहत

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के टीटीई आस्टिन हाइड को बड़ी राहत दी है। ट्रेन की अलार्म चेन खींचने के आरोप में विभागीय कार्रवाई के तहत दी गई वेतन कटौती और पदावनति की सजा को कोर्ट ने रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोप अस्पष्ट और असिद्ध थे और यह साबित नहीं हुआ कि हाइड ने बिना उचित कारण चेन खींची थी।

मामला क्या है

15 जुलाई 2010 को बिलासपुर से रवाना हुई ट्रेन नंबर 2252 कोरबा-यशवंतपुर एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे आस्टिन हाइड पर आरोप था कि उन्होंने अपने परिवार को ट्रेन में चढ़ाने के लिए दो बार अलार्म चेन खींची। दो आरपीएफ गवाहों ने उनके खिलाफ बयान दिया।

2012 में अनुशासनिक प्राधिकारी ने उन्हें दोषी ठहराते हुए दो वेतन स्तर घटाने और दो साल तक वेतन कटौती की सजा दी। 2013 में अपील और 2014 में पुनरीक्षण में भी यह सजा कायम रही। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) जबलपुर बेंच ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

कोर्ट का तर्क

जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की बेंच ने कहा कि केवल चेन खींचना अपराध नहीं है जब तक यह सिद्ध न हो कि यह बिना पर्याप्त कारण किया गया। रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 141 भी यही कहती है। चार्जशीट में कहीं भी यह उल्लेख नहीं था कि हाइड ने बिना उचित कारण चेन खींची। गवाहों के बयान में भी केवल चेन खींचने की बात थी, अनुचित कारण का सबूत नहीं था।

फैसला

कोर्ट ने 2012, 2013, 2014 और 2023 के सभी विभागीय आदेशों को रद्द करते हुए हाइड पर लगाई गई सजा समाप्त कर दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि विभागीय कार्रवाई में कदाचार साबित करने के लिए बिना कारण चेन खींचने का प्रमाण आवश्यक है, जो इस मामले में अनुपस्थित था।

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