रायपुर। नगर निगम की शुक्रवार को हुई बैठक उस समय विवादों में घिर गई जब भाजपा पार्षद खगपति सोनी ने निगम प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी। सोनी ने कहा कि यदि वे अपने वार्ड की जनता को पानी और सफाई जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं दिला पा रहे, तो उनके पार्षद बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।
नाराजगी की वजह
बैठक के दौरान वार्ड विकास से जुड़े प्रस्ताव को निगम प्रशासन द्वारा वापस लौटाए जाने का मुद्दा सामने आया। इसी पर नाराज पार्षद सोनी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जनता की मूलभूत जरूरतों की अनदेखी करना जनप्रतिनिधियों के साथ अन्याय है।
पार्षद का सख्त बयान
खगपति सोनी ने खुले मंच से कहा – “यदि पार्षद होकर मैं अपने वार्ड में काम नहीं कर सकता, लोगों को पानी और सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं दिला सकता, तो मेरे पार्षद बने रहने का कोई मतलब नहीं है। ऐसी स्थिति में मेरा इस्तीफा ले लीजिए।” उनकी यह टिप्पणी सुनकर बैठक का माहौल अचानक गंभीर हो गया और कुछ देर के लिए सन्नाटा पसर गया।
विधायक का हस्तक्षेप
विधायक पुरंदर मिश्रा ने स्थिति को संभालने की कोशिश की। उन्होंने पार्षद को भरोसा दिलाया कि जनता से जुड़े प्रस्तावों की अनदेखी नहीं की जाएगी और अधिकारियों को निर्देश दिया कि वार्ड की मूलभूत सुविधाओं से संबंधित कार्यों को प्राथमिकता पर पूरा किया जाए।
राजनीतिक हलचल
इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। कांग्रेस ने टिप्पणी की कि भाजपा की आंतरिक खींचतान अब सार्वजनिक मंचों पर उजागर हो रही है। वहीं भाजपा के कुछ नेताओं ने पार्षद की नाराजगी को जायज ठहराते हुए कहा कि जनता की अपेक्षाओं पर काम न होने से प्रतिनिधियों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।