भगोड़ों की खैर नहीं! इंटरपोल की नीति में बदलाव, भारत ने बढ़ाई सख्ती

नई दिल्ली। इंटरपोल के सहयोग से भगोड़ों के खिलाफ भारत की कार्रवाई में उल्लेखनीय तेजी आई है। 2023 के बाद से भारत द्वारा इंटरपोल को भेजे गए रेड नोटिस अनुरोधों की संख्या हर साल दोगुनी से अधिक हो गई है। यह रफ्तार CBI की तकनीकी पहल, वैश्विक मंचों पर रणनीतिक कूटनीति और इंटरपोल महासभा एवं G20 शिखर सम्मेलन में भारत की सक्रिय भूमिका का परिणाम है।

2020 में सिर्फ 25, 2024 में हुए 107 रेड नोटिस जारी

अधिकारियों के अनुसार, 2020 में भारत के अनुरोध पर सिर्फ 25 रेड नोटिस जारी किए गए थे। यह आंकड़ा 2023 में 100 और 2024 में बढ़कर 107 हो गया। वहीं 2025 के पहले छह महीनों में ही 56 नोटिस जारी किए जा चुके हैं, जो इस वर्ष के अंत तक एक नया रिकॉर्ड बना सकते हैं।

रेड नोटिस क्या है?

रेड नोटिस इंटरपोल द्वारा जारी एक अलर्ट होता है, जो सदस्य देशों को किसी भगोड़े अपराधी को पकड़ने और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करने में मदद करता है। भारत में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) इंटरपोल से जुड़े सभी मामलों की नोडल एजेंसी है।

अन्य नोटिसों में भी बढ़ोत्तरी

रेड नोटिस के साथ-साथ ब्लू नोटिस (अपराधी की जानकारी एकत्र करने हेतु) और येलो नोटिस (लापता व्यक्तियों की खोज के लिए) की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है। 2020 में जहां कुल 73 इंटरपोल नोटिस जारी हुए थे, वहीं 2025 में अब तक यह संख्या 145 हो चुकी है।

‘भारतपोल’ पोर्टल से मिली गति

CBI की ओर से लॉन्च किए गए ‘भारतपोल’ पोर्टल ने रेड नोटिस की प्रक्रिया को काफी तेज कर दिया है। पहले जहां नोटिस जारी होने में छह महीने तक लगते थे, अब यह समय घटकर तीन महीने रह गया है। इसके चलते 2020 से अब तक कुल 134 भगोड़ों को भारत प्रत्यर्पित किया गया है, जिनमें से 23 केवल 2025 में ही लाए गए हैं।

कूटनीतिक दबाव बना रहा असर

भारत ने 2022 में इंटरपोल महासभा और 2023 में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भगोड़ों को शरण न देने की वकालत की थी। इसका असर वैश्विक स्तर पर दिखाई दे रहा है, और भारत की छवि एक निर्णायक और सख्त कार्रवाई वाले देश के रूप में मजबूत हुई है।

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