बड़े बंगले खाली, फिर भी अफसर बेघर! BSP में आवास नीति पर सवाल

भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) में आवास आवंटन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। नगर सेवाएं विभाग द्वारा अवैध कब्जों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर अब सवाल उठने लगे हैं। यूनियन सीटू (CITU) ने BSP प्रबंधन की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए आरोप लगाया है कि बड़े-बड़े बंगले तो खाली कराए जा रहे हैं, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके ग्रेड के अनुरूप आवास नहीं मिल पा रहे हैं।

अधिकारी छोटे मकानों में रहने को मजबूर

सीजीएम (CGM) स्तर के वरिष्ठ अधिकारी तक बेहतर आवास के लिए भटक रहे हैं। स्थानांतरण होकर भिलाई आने वाले अधिकारियों को समय पर आवास नहीं मिलने के कारण गेस्ट हाउस (भिलाई निवास) में ठहरना पड़ता है और बाद में मजबूरी में छोटे मकानों में रहना पड़ता है। यूनियन का सवाल है कि जब इतने सारे बड़े बंगले खाली कराए जा रहे हैं, तो यह अधिकारी आखिर क्यों छोटे मकानों में रहने को मजबूर हैं?

रिटेंशन स्कीम के नाम पर किसके लिए खाली हो रहे बंगले?

सीटू ने आरोप लगाया कि BSP प्रबंधन अपने ही अधिकारियों और कर्मचारियों की उपेक्षा कर बाहरी प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं के दबाव में बड़े बंगले खाली करा रहा है। यूनियन ने मांग की है कि प्रबंधन को उन सभी आवासों की सूची सार्वजनिक करनी चाहिए, जो पहले से ही प्रशासनिक या राजनीतिक कब्जे में हैं।

“32 बंगला” क्षेत्र बना बड़ा उदाहरण

“32 बंगला” क्षेत्र का जिक्र करते हुए यूनियन ने कहा कि यह इलाका कभी पूरी तरह BSP के अधिकार में था, लेकिन आज वहां केवल एक बंगला BSP के पास है, बाकी सभी पर शासन-प्रशासन या नेताओं का कब्जा है। यूनियन ने तंज कसते हुए कहा कि नगर सेवाएं विभाग क्या इनमें से किसी बंगले को खाली कराने की हिम्मत रखता है?

यूनियनों का समर्थन भूल गया प्रबंधन

सीटू ने BSP प्रबंधन को यह भी याद दिलाया कि जब-जब टाउनशिप में बाहरी तत्वों से टकराव की स्थिति बनी, तो प्रवर्तन विभाग (Enforcement Department) ने यूनियनों से ही मदद मांगी थी। कर्मचारियों ने हमेशा संयंत्र का साथ दिया है। ऐसे में वर्षों अपनी सेवाएं देने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ यह व्यवहार उनके समर्पण का अपमान है।

SEFI ने पीएम तक उठाया मुद्दा

यह मामला केवल भिलाई तक सीमित नहीं है। अधिकारियों के संगठन SEFI (Steel Executives Federation of India) ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देशभर में BSP और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के आवासों को प्रशासनिक अधिकारियों के कब्जे से मुक्त कराने की मांग की है। SEFI का कहना है कि यह कर्मचारियों और अधिकारियों के अधिकारों के साथ अन्याय है।

कर्मचारियों में गहरा असंतोष

BSP में चल रही इस कार्रवाई ने कर्मचारियों के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या प्रबंधन अपने कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने में विफल हो रहा है? या फिर यह किसी राजनीतिक दबाव में उठाया गया कदम है? यूनियन और कर्मचारियों का स्पष्ट कहना है कि यदि प्रबंधन ने कर्मचारियों के हितों की अनदेखी की, तो यह आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है।

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