विधानसभा में जनहित पीछे, ठेके-खरीदी की चर्चा में व्यस्त नेता

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र इस बार जनता के मुद्दों की बजाय ठेके, निर्माण और खरीदी जैसे विषयों की गर्मजोशी से गूंजता रहा। पांच दिन चले इस सत्र में कुल 996 सवाल विधायकों ने लगाए, लेकिन चर्चा हो पाई सिर्फ 28 पर। खास बात यह रही कि जिन मुद्दों पर सबसे ज्यादा सवाल पूछे गए, वे थे—सड़क और भवन निर्माण, ठेकेदारों पर कार्रवाई, रेत भंडारण, और डीएमएफ फंड से हुई खरीदी।

सवाल वही—निविदा में गड़बड़ी, ठेके में देरी, किसको कितना मिला?
विधायकों के सवालों का विश्लेषण करने पर साफ दिखा कि उन्हें जनता के जल, जंगल और ज़मीन की नहीं, निर्माण कार्यों की प्रगति, ठेकेदारों की जिम्मेदारी और सामान की खरीदी ज़्यादा चिंतित कर रही थी। आंकड़ों के मुताबिक, 32 विधायकों ने कुल 38 सवाल ठेके और खरीदी से जुड़े दागे, जिनमें बड़ी संख्या कांग्रेस विधायकों की रही।

सत्र में जनता की चर्चा नदारद, ठेकेदारों की भरमार
सड़कें टूटी हैं, अस्पतालों में डॉक्टर नहीं, स्कूलों में शिक्षक कम हैं—ऐसे सवालों पर उम्मीद थी कि सदन में बहस होगी, लेकिन चर्चा ठेके में देरी और भुगतान में रुकावटों तक ही सिमट कर रह गई। जनता के लिए चिंता की बात यह रही कि पूरे सत्र में महज 28 सवालों पर ही चर्चा हो सकी।

एक ही सवाल, नौ बार पूछा गया!
कृषि से जुड़ा एक दिलचस्प नज़ारा भी सामने आया, जब 9 विधायकों ने एक जैसे शब्दों में सवाल पूछा—”खरीफ फसल में धान उत्पादन और कटाई का क्या परिणाम रहा?” सवाल पूछने वालों की लिस्ट लंबी रही: यशोदा निलाम्बर वर्मा, विक्रम मंडावी, शेषराज हरबंस, कुंवर सिंह निषाद, राघवेंद्र कुमार सिंह, इंद्र साव, व्यास कश्यप, उत्तरी गनपत जांगड़े और संगीता सिन्हा।

जनता के सवाल कौन पूछेगा?
सत्र से यह संकेत मिला कि भले ही जनता रोजमर्रा की समस्याओं से जूझ रही हो, लेकिन उसके प्रतिनिधि इन दिनों सरकारी खरीदी और निर्माण कार्यों की निगरानी में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *