राजनांदगांव। सामाजिक सुधार की दिशा में राजनांदगांव जिले के कई गांवों ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी है। इस निर्णय ने न सिर्फ जिले में, बल्कि पूरे प्रदेश में शराबमुक्त समाज की नई उम्मीदें जगा दी हैं।
भरेगांव, आरला और मोखला गांव में शुरू हुई शराबबंदी की पहल ने अब सुरगी, मोहड़ और माथलडबरी जैसे गांवों को भी प्रेरित किया है। इन गांवों के ग्रामीण अब शराब से पूरी तरह आजादी चाहते हैं, क्योंकि लगातार बिगड़ते सामाजिक माहौल से वे त्रस्त हो चुके हैं।
गांवों में सामूहिक बैठक कर यह निर्णय लिया गया है कि कोई भी व्यक्ति गांव की सीमा में शराब पीते या बेचते पकड़ा गया तो उस पर 30,000 से 50,000 रुपये तक का आर्थिक दंड लगाया जाएगा। साथ ही सामाजिक स्तर पर भी कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीणों का कहना है कि यह कदम आने वाली पीढ़ियों को नशे से दूर रखने और सामाजिक एकता बनाए रखने के लिए जरूरी है।
शराबबंदी को सफल बनाने के लिए इन ग्रामों में जगह-जगह पोस्टर लगाए गए हैं और जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि प्रदेश के अन्य गांव भी “राजनांदगांव मॉडल” को अपनाएं, तो छत्तीसगढ़ में शराबबंदी एक जनआंदोलन के रूप में सफल हो सकती है।
राजनांदगांव की यह पहल अब पूरे राज्य के लिए एक मिसाल बन गई है और यदि यह जागरूकता अन्य क्षेत्रों तक फैली, तो छत्तीसगढ़ शराबमुक्त प्रदेश बनने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ा सकता है।