
बिलासपुर। कोटा क्षेत्र के ग्राम छेरकाबांधा स्थित वेलकम डिस्टलरी पर जलकर के 90 करोड़ रुपए बकाया का मामला छत्तीसगढ़ विधानसभा में गूंजते ही दलालों और मांडवाली बादशाहों की फौज सक्रिय हो गई है। ‘मामला सेट’ कराने की जोड़-तोड़ शुरू हो चुकी है, परंतु अब तक किसी की दाल नहीं गल पा रही है। इधर कलेक्टर ने भी डिस्टलरी प्रबंधन को भुगतान के लिए नोटिस जारी कर दिया है, जिससे कंपनी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
सन 1986 से पंजीकृत इस वेलकम डिस्टलरी पर जल संसाधन विभाग से बिना अनुमति और अनुबंध के भूजल दोहन करने का गंभीर आरोप है। हालांकि कंपनी का दावा है कि उनके पास केन्द्रीय भू-जल प्राधिकरण, नई दिल्ली से 5 जनवरी 2027 तक के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) है, जिसके आधार पर वह भूजल का दोहन कर रही है।
वहीं जल संसाधन विभाग और राजस्व विभाग का कहना है कि डिस्टलरी प्रबंधन को कई बार जलकर भुगतान हेतु नोटिस भेजे जा चुके हैं। ताजा नोटिस 20 जून 2025 को रतनपुर तहसीलदार द्वारा भेजा गया, परंतु प्रबंधन ने अब तक कोई भुगतान नहीं किया।
कंपनी का पंजीकृत कार्यालय बिलासपुर के अग्रसेन चौक में है और यह गुड़/अनाज आधारित डिस्टलरी के रूप में आरएस, सीएल, ईएनए आदि उत्पादों का निर्माण करती है।
सूत्रों की मानें तो जैसे ही मामला विधानसभा में गूंजा, ‘मांडवाली सिंडिकेट’ सक्रिय हो गया। कई रसूखदार लोग ‘सेटिंग-मैनेजमेंट’ के लिए अपने स्तर पर प्रयास करने में जुटे हैं। दलालों का दावा है कि वे मामले को “ठंडे बस्ते” में डालने का जुगाड़ कर लेंगे, मगर विभागीय फाइलों और राजनीतिक दबाव के आगे उनकी एक भी चाल सफल नहीं हो रही है।
उधर, राजस्व विभाग के अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं कि चैतू-बैशाखू पर डंडा चलाने वाले ये अफसर वेलकम डिस्टलरी पर नरमी क्यों बरतते रहे?
फिलहाल, वेलकम डिस्टलरी प्रबंधन पर शिकंजा कसता नजर आ रहा है, और मांडवाली का खेल भी धाराशायी होता दिख रहा है।