भारत-पाकिस्तान के बीच डब्ल्यूसीएल मुकाबला रद्द, शिखर धवन समेत कई खिलाड़ियों ने खेलने से किया इनकार

लंदन/नई दिल्ली। वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लीजेंड्स (WCL) 2025 में होने वाला बहुप्रतीक्षित मुकाबला – इंडिया चैंपियंस बनाम पाकिस्तान चैंपियंस – आखिरी समय में रद्द कर दिया गया। यह मुकाबला रविवार रात 9 बजे (भारतीय समयानुसार) इंग्लैंड के एजबेस्टन क्रिकेट ग्राउंड में खेला जाना था, लेकिन कुछ भारतीय खिलाड़ियों ने खेलने से साफ इनकार कर दिया, जिसके चलते आयोजकों को मैच रद्द करना पड़ा।

WCL का आधिकारिक बयान – “किसी की भावना आहत करना मकसद नहीं था”

WCL की ओर से जारी बयान में कहा गया,
“हम क्रिकेट प्रेमियों को हमेशा यादगार लम्हे देने की कोशिश करते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच अन्य खेलों (जैसे हॉकी और वॉलीबॉल) में हो रहे मुकाबलों को देखकर हमने सोचा कि WCL में भी ऐसा मैच कराना सकारात्मक संदेश देगा। लेकिन शायद अनजाने में हमने कुछ लोगों की भावनाएं आहत कर दीं।”

बयान में आगे कहा गया,
“हमने उन भारतीय दिग्गजों को असहज कर दिया, जिन्होंने देश को गौरवान्वित किया है। उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए हमने फैसला लिया है कि यह मुकाबला रद्द किया जाएगा। हमें खेद है यदि किसी को हमारी मंशा से ठेस पहुंची हो।”

शिखर धवन का भावुक बयान – “देश से बढ़कर कुछ नहीं”

टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज़ शिखर धवन ने इस मुकाबले से हटने की घोषणा शनिवार देर रात X (पूर्व में ट्विटर) पर की। उन्होंने एक ई-मेल का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा:

“जो कदम 11 मई को लिया, उस पर आज भी वैसे ही खड़ा हूं। मेरा देश मेरे लिए सब कुछ है, और देश से बढ़कर कुछ नहीं होता। जय हिंद!”

उस ई-मेल में यह उल्लेख था कि धवन ने 11 मई को ही पाकिस्तान के खिलाफ खेलने से इनकार कर दिया था, और यह फैसला जियोपॉलिटिकल परिस्थितियों और हाल के आतंकी हमले को ध्यान में रखते हुए लिया गया।

जम्मू-कश्मीर हमले के बाद बदला माहौल

गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, जिसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जवाबी कार्रवाई की। इस पृष्ठभूमि में भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर भावनात्मक और राजनीतिक विरोध भी बढ़ा।

भावनाएं बनाम खेल भावना की टकराहट

भारत और पाकिस्तान के बीच मैच सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि भावनाओं, देशभक्ति और सुरक्षा भावनाओं से जुड़ा मुद्दा बन गया है। इस बार खेल भावना को पीछे हटना पड़ा, लेकिन खिलाड़ियों और आयोजकों दोनों ने समझदारी और सम्मान के साथ इस विवाद को संभालने की कोशिश की।

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