Naxalites Report 2025: ड्रोन से जवानों पर नजर रख रहे नक्सली, बढ़ा खतरा

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों के लिए खतरा अब एक नई दिशा में बढ़ गया है। पारंपरिक हथियारों और गुरिल्ला युद्ध के साथ-साथ अब नक्सली तकनीक का सहारा लेकर अपनी रणनीति को धार दे रहे हैं। हाल ही में सुकमा पुलिस द्वारा नक्सली ठिकाने से जब्त किए गए ड्रोन ने इस आशंका को पुष्टि में बदल दिया है कि नक्सली अब निगरानी के लिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।

ड्रोन से जंगल में जवानों की निगरानी

सुकमा जिले के गुंडराजगुडेम जंगल में सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस को एक सामान्य फोटोग्राफी ड्रोन मिला, जिसे नक्सली निगरानी के लिए प्रयोग कर रहे थे। एसपी किरण चव्हाण ने जानकारी दी कि इस ड्रोन की रेंज करीब 3 किलोमीटर है। यद्यपि इसमें विस्फोटक ले जाने की क्षमता नहीं है, लेकिन यह नक्सलियों को सुरक्षा बलों की संख्या और मूवमेंट का सटीक अंदाजा देता है। कम संख्या में जवान दिखाई देने पर हमला कर दिया जाता है और अधिक संख्या में होने पर नक्सली पीछे हट जाते हैं।

10 ड्रोन की मौजूदगी की आशंका, सप्लायर गिरफ्तार

इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने भी जांच शुरू कर दी है। जून 2024 में NIA ने दिल्ली से विशाल सिंह नामक युवक को गिरफ्तार किया, जो मथुरा का रहने वाला है। पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह पिछले सात वर्षों से माओवादियों को ड्रोन की आपूर्ति और ऑपरेशन की ट्रेनिंग दे रहा था। उसने बिहार, ओडिशा, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के माओवादी संगठनों को ड्रोन मुहैया कराए थे।

इससे पहले अगस्त 2024 में हरियाणा-पंजाब इकाई के माओवादी प्रमुख अजय सिंघल उर्फ अमन की गिरफ्तारी हुई थी। दोनों से मिले सुरागों के आधार पर एजेंसियों को संदेह है कि नक्सलियों के पास इस समय करीब 10 ड्रोन हैं, जिनका उपयोग विभिन्न इलाकों में किया जा रहा है।

वर्षों पुरानी आशंका की अब पुष्टि

हालांकि 2019, 2020 और 2023 में भी नक्सली इलाकों में संदिग्ध ड्रोन देखे जाने की सूचनाएं सामने आ चुकी थीं, लेकिन यह पहली बार है जब किसी ऑपरेशन में नक्सली ठिकाने से वास्तविक ड्रोन बरामद हुआ है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि नक्सली लंबे समय से इस तकनीक को अपनी रणनीति में शामिल करने की कोशिश कर रहे थे।

मुठभेड़ों में अब तक 426 नक्सली मारे गए

2024 से जून 2025 तक बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 426 नक्सलियों को ढेर किया गया है, जिनमें 136 महिला नक्सली भी शामिल हैं। नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के चार और स्टेट कमेटी के 16 सदस्य भी मारे गए हैं।

तकनीक से बदल रही रणनीति

ड्रोन की मदद से जवानों पर नजर रखना, हमलों की योजना बनाना और फील्ड में सटीक जानकारी पाना – नक्सलियों की यह नई रणनीति सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक नई चुनौती है। NIA की जांच से यह साफ हो चुका है कि यह कोई इत्तफाक नहीं, बल्कि एक संगठित और सुनियोजित रणनीति है। ऐसे में सुरक्षा बलों को भी तकनीक से लैस होकर अपनी निगरानी प्रणाली और इंटेलिजेंस नेटवर्क को और मजबूत करना होगा।

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