कैंसर मरीजों के लिए नई उम्मीद, बैक्टीरिया से इलाज संभव

एडिलेड: कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के इलाज में अब बैक्टीरिया का सहारा लिया जा रहा है। वैज्ञानिक ऐसे बैक्टीरिया विकसित कर रहे हैं जो सीधे ट्यूमर के भीतर जाकर दवाओं को सक्रिय कर सकें, जिससे कैंसर कोशिकाएं कमजोर हों और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें नष्ट कर सके। इस दिशा में बैक्टीरिया के डीएनए को भी बायो-इंजीनियरिंग के माध्यम से संशोधित किया जा रहा है।

साउथ ऑस्ट्रेलियन हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की वैज्ञानिक जोसेफीन राइट और सुजैन वुड्स ने इसे “जीवित दवाओं” की नई श्रेणी बताया है। उनका कहना है कि भविष्य में ऐसे प्रोग्राम योग्य बैक्टीरिया तैयार किए जा सकते हैं, जो शरीर में घूमते हुए स्वतः खतरनाक ट्यूमर की पहचान कर उसे निशाना बनाएंगे।

पारंपरिक कैंसर दवाओं का कई बार असर नहीं होता क्योंकि वे ट्यूमर तक नहीं पहुँच पातीं। इसके अलावा, ट्यूमर प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है और कुछ ट्यूमर दवाओं के प्रति प्रतिरोध भी विकसित कर लेते हैं। इस चुनौती का समाधान कुछ विशेष बैक्टीरिया कर सकते हैं। ये न केवल प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करते हैं, बल्कि ट्यूमर की विशेष परिस्थितियों में विकसित होकर उसमें दवाएं छोड़ सकते हैं।

इसमें माइकोबैक्टीरियम बोविस नामक बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह बैक्टीरिया शरीर के आंतरिक अंगों और ऊतकों में बने ट्यूमर को पहचान सकता है और केवल ट्यूमर में ही बढ़ता है, जबकि स्वस्थ ऊतक सुरक्षित रहते हैं। ट्यूमर मृत कोशिकाओं से पोषण पाता है और कम ऑक्सीजन वाली स्थिति में भी बैक्टीरिया के लिए उपयुक्त वातावरण बनता है।

क्लीनिकल परीक्षणों में इन बैक्टीरिया को इम्यूनोथेरेपी और कीमोथेरेपी के साथ मिलाकर प्रयोग किया जा रहा है। कैंसर वैक्सीन बनाने में भी उनका उपयोग हो रहा है। वैज्ञानिक इन बैक्टीरिया को इंजीनियर कर उनके हानिकारक जीन हटाकर ऐसे जीन जोड़ते हैं जो ट्यूमर के विशिष्ट एंटीजन का उत्पादन करें। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली आसानी से ट्यूमर को पहचान कर नष्ट कर सकती है।

वर्तमान में शोधकर्ता ऐसे बैक्टीरिया पर भी काम कर रहे हैं जो दवाओं से लैस हों और ट्यूमर के भीतर जाकर उसे नष्ट कर सकें। कुछ बैक्टीरिया दवा छोड़ने के बाद स्वयं नष्ट हो जाते हैं, जबकि कुछ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने वाले तत्व छोड़ते हैं या अन्य उपचार सक्रिय कर सकते हैं। इस तरह बैक्टीरिया ट्यूमर पर दोहरे हमले की क्षमता रखते हैं — अंदर से और बाहर से।

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