अब अमेरिका नहीं, चीन देगा मौका! के-वीजा से आसानी से मिलेगी जॉब

बीजिंग। चीन ने बुधवार को नए के-वीजा कैटेगरी को लॉन्च किया है, जिसे अमेरिका के एच-1बी वीजा का जवाब माना जा रहा है। अमेरिका ने हाल ही में एच-1बी वीजा की फीस बढ़ाकर एक लाख डॉलर कर दी है, जिससे अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशी वर्कर्स को हायर करना मुश्किल हो गया है। ऐसे में चीन अब के-वीजा के जरिए उच्च कौशल वाले प्रोफेशनल्स को अपने देश में लाने की योजना बना रहा है।

के-वीजा क्या है:
के-वीजा को विशेष रूप से उन प्रोफेशनल्स और युवाओं के लिए लाया गया है, जिन्होंने साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (STEM) में पढ़ाई की है। इसके तहत आवेदक बिना जॉब ऑफर के चीन आ सकते हैं और वहां नौकरी ढूंढ सकते हैं।

कौन कर सकता है क्वालिफाई:
के-वीजा के लिए STEM फील्ड में बैचलर्स या उससे ऊपर की डिग्री होनी चाहिए। डिग्री किसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी या रिसर्च सेंटर से होनी जरूरी है। इसके अलावा STEM फील्ड में टीचिंग या रिसर्च करने वाले युवा प्रोफेशनल्स भी इसके लिए योग्य हैं।

के-वीजा और एच-1बी वीजा:
के-वीजा अमेरिका के एच-1बी वीजा के लिए विकल्प बन सकता है। अमेरिका में वीजा फीस बढ़ने के बाद कई विदेशी वर्कर्स वहां नौकरी पाने में असमर्थ हैं, ऐसे लोगों के लिए चीन ने दरवाजे खोल दिए हैं।

के-वीजा की चुनौतियां:
चीन ने वीजा के नियमों में उम्र, शैक्षिक योग्यता और वर्क एक्सपीरियंस के लिए अस्पष्ट शर्तें रखी हैं। सैलरी, जॉब प्लेसमेंट और लंबे समय तक रहने की इजाजत को लेकर स्पष्टता नहीं है। चीन में नागरिकता देना मुश्किल है और स्थानीय कंपनियों में मंदारिन भाषा की आवश्यकता भी एक चुनौती है।

के-वीजा के फायदे:
के-वीजा धारक को अधिक फ्लेक्सिबिलिटी और लंबी अवधि की वीजा सुविधा मिलेगी। इसके माध्यम से आवेदक एजुकेशनल, साइंटिफिक, टेक्नोलॉजिकल, कल्चरल और एंटरप्रेन्योरशिप जैसी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। इसके लिए किसी स्थानीय कंपनी से स्पॉन्सरशिप की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि पढ़ाई और वर्क एक्सपीरियंस को देखा जाएगा।

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