पीएम मोदी का ‘मन की बात’ में दो टूक: योग बना वैश्विक पहचान, इमरजेंसी में हुए थे मानवाधिकारों पर हमले

नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 122वें एपिसोड के माध्यम से देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने योग, आपातकाल, स्वास्थ्य उपलब्धियों और धार्मिक यात्रा जैसे विविध विषयों पर बात की।

योग दिवस की भव्यता पर विशेष जोर

कार्यक्रम की शुरुआत में पीएम ने 21 जून को मनाए गए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उल्लेख किया और कहा कि,

“इस बार योग की भव्यता और बढ़ी है, लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं।”

उन्होंने विशाखापत्तनम में 3 लाख लोगों द्वारा एक साथ योग किए जाने का ज़िक्र किया। भारतीय नौसेना के जहाजों, दिल्ली में स्वच्छता से जुड़े संकल्प, जम्मू के ऊंचे ब्रिज और वडनगर में 2100 लोगों द्वारा किए गए भुजंगासन जैसे कई योग आयोजनों को प्रेरणास्रोत बताया।

आपातकाल का किया स्मरण

पीएम मोदी ने आपातकाल के दौर को याद करते हुए कहा कि,

“इमरजेंसी के समय लोगों को प्रताड़ित किया गया, मीसा के तहत बिना कारण गिरफ्तारी होती थी। लेकिन अंत में जनता की जीत हुई और लोकतंत्र ने फिर से सांस ली।”

स्वास्थ्य क्षेत्र की ऐतिहासिक उपलब्धि

प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को ट्रेकोमा मुक्त घोषित किया है, जो स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी है। उन्होंने इसे स्वास्थ्य कर्मियों और स्वच्छ भारत अभियान की सफलता बताया।

सरकारी योजनाओं से जुड़े 95 करोड़ भारतीय

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पीएम ने बताया कि,

“देश के 95 करोड़ लोग आज किसी न किसी सरकारी योजना का लाभ उठा रहे हैं। ये जनभागीदारी भारत को और सशक्त बना रही है।”

कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने श्रद्धा और सेवा की मिसाल कैलाश मानसरोवर यात्रा का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि,

“ये यात्रा न केवल भक्ति की अभिव्यक्ति है, बल्कि सेवा, अनुशासन और भाईचारे का प्रतीक भी है। कैलाश हिंदू, बौद्ध और जैन परंपराओं में श्रद्धा का केंद्र है।”

उन्होंने कहा कि धार्मिक यात्राएं केवल व्यक्तिगत आस्था नहीं, बल्कि समाज की सहभागिता और सेवा भावना को भी दर्शाती हैं।

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