प्रोजेक्ट अटके, ग्रामीण फंसे — 90 गांवों में जमीन सौदे ठप, प्रशासन ने लगाई खरीदी-बिक्री पर रोक

रायपुर। राजधानी रायपुर और आसपास के 90 से ज्यादा गांवों के किसानों और ग्रामीणों के लिए जमीन से जुड़े हर छोटे-बड़े सौदे पर प्रशासन ने फिलहाल ताले जड़ दिए हैं। कारण है चार बड़े अधिग्रहण प्रोजेक्ट — रेलवे लाइन, फोरलेन सड़क, पाइपलाइन और नगर विकास योजना, जिनका काम अभी तक कागजों से आगे नहीं बढ़ पाया है।

प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करते हुए इन गांवों में खरीदी-बिक्री, बंटवारे और सीमांकन जैसी हर गतिविधि पर रोक लगा दी है। नतीजा यह कि जमीन बेचने की जरूरत में फंसे ग्रामीण अपनी जमीनें नहीं बेच पा रहे हैं और न ही कोई खरीददार आगे आ रहा है।

अधिग्रहण के दायरे में आने वाले खसरों (खसरा नंबरों) का स्पष्ट उल्लेख भी नहीं किया गया है। केवल पूरे-पूरे गांवों को अधिग्रहण की सूची में डाल दिया गया है, जिससे लोग और अधिक असमंजस में हैं।

ये चार प्रोजेक्ट बने ग्रामीणों की मुसीबत:

  • रायपुर-सारंगगढ़ फोरलेन सडक़ — 36 गांवों की जमीन प्रभावित।
  • खरसिया-नवा रायपुर-परमलकसा रेलवे लाइन — 35 गांव अधिग्रहण की जद में।
  • क्रास कंट्री उत्पाद पाइपलाइन (विशाखापटनम से रायपुर) — आरंग तहसील के 15 गांव प्रभावित।
  • नगर विकास योजना (मंदिरहसौद, सेरीखेड़ी आदि क्षेत्र) — अधिसूचना 2023 में ही जारी।

अधिग्रहण की प्रक्रिया का आलम यह है कि अप्रैल में रेलवे लाइन के लिए रोक लगाई गई थी, लेकिन अब तक प्रभावित खसरों का चिन्हांकन भी पूरा नहीं हो पाया है। फोरलेन सड़क और पाइपलाइन प्रोजेक्ट के लिए तो महज सप्ताह भर पहले आदेश जारी हुए हैं।

नगर विकास योजना के तहत भी जमीन खरीदी-बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने की तैयारी है।

ग्रामीणों में गुस्सा और असमंजस

गांवों में जमीन बेचने के इच्छुक किसान व ग्रामीण बेहद परेशान हैं। जिनके पास जमीन के अलावा कोई दूसरा सहारा नहीं, वे खरीदारों के अभाव में आर्थिक संकट में आ गए हैं। दूसरी ओर जिन लोगों ने खेती या मकान के लिए जमीन खरीदने की योजना बनाई थी, वे भी फंस गए हैं।

प्रशासन का पक्ष

अपर कलेक्टर (राजस्व) कीर्तिमान सिंह राठौर ने कहा, “सड़क, रेलवे लाइन और पाइपलाइन जैसे बड़े प्रोजेक्ट हैं, जिनके लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। इस वजह से खरीदी-बिक्री पर रोक लगाई गई है। नगर विकास योजना में भी प्रभावित गांवों में यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।”

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द पूरी कर खसरों की स्पष्ट जानकारी दी जाए या फिर जिन खसरों में अधिग्रहण नहीं होना है, वहां तत्काल रोक हटाई जाए। वरना वे आंदोलन की राह पकड़ने मजबूर होंगे।

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