लाइफस्टाइल डेस्क। आज 1 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का नौवां दिन है और इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष देने वाली देवी माना जाता है। उनकी आराधना करने से भक्तों को धन, यश, बल और अष्ट सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
माता चार भुजाधारी हैं। एक हाथ में कमल पुष्प, दूसरे में गदा, तीसरे में चक्र और चौथे हाथ में शंख धारण करती हैं। उनका वाहन सिंह है और उन्हें जगत जननी भी कहा जाता है।
पौराणिक कथा
मान्यता है कि भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की तपस्या कर आठों सिद्धियां प्राप्त की थीं। मां की कृपा से शिव अर्धनारीश्वर कहलाए। कहा जाता है कि महिषासुर के अत्याचारों से देवता परेशान हुए तो उनके तेज से उत्पन्न दिव्य शक्ति ही मां सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुई।
पूजा विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें
- मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं
- सफेद वस्त्र और सफेद पुष्प अर्पित करें
- रोली, कुमकुम और मिष्ठान अर्पित करें
- चना, पूड़ी, खीर, हलवा और मौसमी फल का भोग लगाएं
- मां की आरती और ध्यान करें
- कन्या पूजन अवश्य करें, इसका विशेष महत्व है
महत्व
मार्कण्डेय पुराण में मां की महिमा का विस्तार से वर्णन है। मां सिद्धिदात्री को अष्ट सिद्धियों का स्वरूप माना गया है—अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राकाम्य, प्राप्ति, ईशित्व और वशित्व। नवरात्रि की नवमी पर उनकी उपासना करने से जीवन में सफलता और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री की कृपा से सभी कष्ट दूर होते हैं और भक्त को दिव्य शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।